भारत से 80 ATAGS तोप खरीदेगा ये देश, तैयारी शुरू

नई दिल्ली। भारत और आर्मेनिया के बीच हालिया रक्षा समझौते ने न केवल दक्षिण काकेशस क्षेत्र में सामरिक समीकरणों को प्रभावित किया है, बल्कि भारत की वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में उभरती भूमिका को भी मजबूती दी है। आर्मेनिया द्वारा भारत से 80 एडवांस्ड टोवेड आर्टिलरी गन सिस्टम्स (ATAGS) की खरीद का निर्णय इसी दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। यह सौदा भारत के लिए रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) की सफलता का परिचायक भी है।

रणनीतिक पृष्ठभूमि

आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच दशकों से चला आ रहा नागोर्नो-कराबाख विवाद किसी से छिपा नहीं है। साल 2020 के संघर्ष में जब रूस ने आर्मेनिया की अपेक्षा के अनुरूप हस्तक्षेप नहीं किया, तब से ही आर्मेनिया ने अपनी रक्षा जरूरतों के लिए वैकल्पिक साझेदारों की तलाश शुरू की। भारत इस परिस्थिति में एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में उभरा।

वहीं भारत के लिए यह साझेदारी सिर्फ एक व्यापारिक समझौता नहीं है, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से तुर्की, पाकिस्तान और अजरबैजान के त्रिकोणीय गठजोड़ को संतुलित करने का भी एक अवसर है। पाकिस्तान और तुर्की का अजरबैजान को खुला समर्थन भारत के लिए अप्रत्यक्ष चुनौती बनता है। ऐसे में आर्मेनिया को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति भारत की क्षेत्रीय रणनीति का हिस्सा बनती दिख रही है।

ATAGS: आधुनिकता और विश्वसनीयता का प्रतीक

ATAGS तोप प्रणाली भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और टाटा तथा भारत फोर्ज जैसी निजी कंपनियों की संयुक्त पहल का परिणाम है। इसकी 155mm/52 कैलिबर क्षमता, 48 किलोमीटर की मारक सीमा, और ऊँचाई वाले इलाकों में संचालन क्षमता इसे किसी भी आधुनिक तोपखाना प्रणाली के समकक्ष खड़ा करती है।

आर्मेनिया द्वारा पहले 12 ATAGS की खरीदी और सफल परीक्षण के बाद अब 80 और तोपों की मांग इस बात का प्रमाण है कि भारतीय रक्षा उपकरण वैश्विक मानकों पर खरे उतर रहे हैं। खासकर आर्मेनिया जैसे पहाड़ी और दुर्गम भूभाग वाले देश के लिए यह तोपें उपयोगी साबित हो रही हैं।

भारत और आर्मेनिया के बीच बहुस्तरीय रक्षा सहयोग

ATAGS के अलावा आर्मेनिया ने भारत से आकाश मिसाइल प्रणाली, पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम और स्वदेशी हॉवित्जर तोपों की खरीद भी की है। कुल मिलाकर 2022 और 2023 के बीच हुए रक्षा सौदों की अनुमानित कीमत 1.5 बिलियन डॉलर के आसपास रही है, जो भारत-आर्मेनिया संबंधों की गहराई को दर्शाता है।

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