घुटनों में दर्द? सिर्फ ये 1 घरेलू उपाय करेगा कमाल

हेल्थ डेस्क। घुटनों का दर्द एक ऐसी समस्याएं हैं जो आज हर उम्र के व्यक्ति को परेशान कर रही हैं। आधुनिक जीवनशैली, खानपान और बढ़ती उम्र के साथ यह तकलीफें आम हो चुकी हैं। दवाइयों और इलाज के बावजूद लोग इन समस्याओं से पूरी तरह राहत नहीं पा पाते। लेकिन आयुर्वेद और घरेलू चिकित्सा पद्धति में एक ऐसा साधारण उपाय है जो असरदार साबित हो रहा है — जौ का पानी।

विशेषज्ञों की मानें तो जौ का पानी रोज़ाना पीने से न केवल जोड़ों की सूजन और अकड़न में आराम मिलता है, बल्कि यह ब्लड शुगर को भी नेचुरली नियंत्रित करने में मदद करता है। साथ ही साथ यह वजन कम करने में भी सहायक माना जाता हैं।

जौ का पानी: जोड़ों के लिए प्राकृतिक राहत

जौ में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व घुटनों की सूजन कम करने में सहायक होते हैं। इसमें पाए जाने वाले सिलिकॉन और कैल्शियम हड्डियों को मजबूती देते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर इसे रोज़ सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले लिया जाए, तो घुटनों में लचीलापन आता है और दर्द में धीरे-धीरे राहत मिलती है। यह उपाय बुजुर्गों, ऑर्थराइटिस से पीड़ित लोगों और फिजियोथेरेपी ले रहे मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

डायबिटीज़ कंट्रोल में भी असरदार

जौ में भरपूर मात्रा में घुलनशील फाइबर होता है, जो शरीर में ग्लूकोज़ को धीरे-धीरे अवशोषित होने देता है। इससे ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ता और इंसुलिन का रिस्पॉन्स बेहतर होता है। इससे डायबिटिक मरीजों को दिनभर स्थिर ऊर्जा मिलती है और थकान की समस्या भी घटती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जौ का पानी एक नेचुरल ड्रिंक के रूप में डायबिटीज़ मरीजों की रोज़ की शुरुआत का बेहतरीन विकल्प बन सकता है।

कैसे बनाएं जौ का पानी?

एक कप जौ को रातभर पानी में भिगो दें। सुबह इसे 4–5 कप पानी में उबालें, जब तक पानी आधा न रह जाए। छानकर ठंडा करें। चाहें तो नींबू या शहद मिलाकर स्वाद बढ़ा सकते हैं। दिन में 1–2 बार, विशेषकर सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले पिएं।

क्या कहती है चिकित्सा सलाह

डॉ. जैदी जैसे पोषण विशेषज्ञ और आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि यह पेय पूरी तरह प्राकृतिक है, और नियमित सेवन से घुटनों के दर्द में कमी, हड्डियों की मजबूती और ब्लड शुगर नियंत्रण में सकारात्मक बदलाव देखा जा सकता है। हालांकि, जो लोग दवाएं ले रहे हैं या किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित हैं, उन्हें इसे अपने चिकित्सक से सलाह लेकर अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।

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