भारत ने AMCA Mark-2 की तैयारी शुरू कर दी?

नई दिल्ली। भारत जब भी अपनी सुरक्षा नीति की बात करता है, तो एक सपना बार-बार सामने आता है — "आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक" का सपना। इसी सपने का सबसे उन्नत रूप है AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) — एक स्वदेशी, स्टेल्थ और फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट, जो भविष्य की लड़ाइयों में भारत की रीढ़ बन सकता है। लेकिन आज, जब दुनिया छठवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की ओर बढ़ रही है, भारत अभी भी AMCA Mark-1 की पहली उड़ान का इंतजार कर रहा है।

एक दशक पुराना सपना, जो अब भी ज़मीन पर है

AMCA की कहानी करीब 2010 से शुरू हुई थी। तब भारत ने यह तय किया कि हमें अमेरिका के F-22 या चीन के J-20 जैसे स्टेल्थ फाइटर्स का जवाब खुद तैयार करना होगा। HAL और DRDO ने मिलकर इस प्रोजेक्ट की नींव रखी। प्लान था कि 2030 से पहले यह जेट भारतीय वायुसेना का हिस्सा बन जाएगा। लेकिन अब 2025 आ चुका है, और AMCA Mark-1 का फाइनल प्रोटोटाइप भी तैयार नहीं हो पाया है। पहली उड़ान की उम्मीद अब 2028 तक टली हुई है, यानी कम से कम 5-6 साल की देरी।

AMCA Mark-2: छठवीं पीढ़ी का सपना

अभी AMCA Mark-1 हवा में भी नहीं उड़ा, और इसी बीच DRDO ने Mark-2 पर काम शुरू कर दिया है — जिसे भारत का पहला 6th Generation Fighter Jet माना जा रहा है। इसमें लेज़र गन, AI आधारित हथियार प्रणाली, बिना पायलट ऑप्शन (unmanned mode), और हाई-स्पीड डेटा फ्यूजन जैसी तकनीकों की बात की जा रही है। यह सब सुनने में बेहद भविष्यवादी लगता है, लेकिन एक सवाल बार-बार उठता है: जब Mark-1 ही तैयार नहीं, तो Mark-2 कब आएगा?

तेजस की कहानी दोहराई जा रही है?

भारत का तेजस प्रोजेक्ट पहले ही दशकों की देरी झेल चुका है। तेजस मार्क-1A की कमी, इंजन पर निर्भरता और मार्क-2 के लिए अब भी स्पष्ट टाइमलाइन न होना — ये सभी संकेत हैं कि हम अब भी विमानन तकनीक की आत्मनिर्भरता के सफर में शुरुआती पड़ाव पर हैं। इसी बीच चीन ने न केवल J-20 को सफलतापूर्वक ऑपरेशनल किया है, बल्कि J-31 और छठवीं पीढ़ी के विमानों पर काम तेज कर दिया है।

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