क्या हैं प्रमुख बदलाव?
1. राज्य अधीनस्थ अराजपत्रित सेवा में समावेश
अब ग्राम विकास अधिकारियों को राज्य अधीनस्थ अराजपत्रित सेवा में शामिल कर लिया गया है। इसका सीधा असर उनकी पदोन्नति, वेतनमान और स्थानांतरण प्रणाली पर पड़ेगा। पहले ये अधिकारी केवल जिले तक सीमित रहते थे, लेकिन अब इन्हें एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरित किया जा सकेगा।
2. "ग्राम सेवक" पदनाम का विलोपन
पहले इन अधिकारियों को “ग्राम सेवक” के नाम से जाना जाता था। अब इस पदनाम को पूरी तरह समाप्त कर "ग्राम विकास अधिकारी" के रूप में एकीकृत कर दिया गया है। इससे पद की प्रतिष्ठा और स्पष्ट पहचान सुनिश्चित होगी।
3. शैक्षिक योग्यता में परिवर्तन
नई नियमावली के अनुसार, अब इस पद के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट या समकक्ष कोई भी मान्यता प्राप्त परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी होगा। पहले यह पात्रता केवल विज्ञान या कृषि विषय तक सीमित थी। यह संशोधन अधिक उम्मीदवारों को इस पद के लिए योग्य बनाएगा।
4. पुरानी नियमावली का निरसन
वर्ष 1980 की सेवा नियमावली, जो अब तक ग्राम सेवकों पर लागू होती थी, को निरस्त कर दिया गया है। उसकी जगह अब 2025 की नई नियमावली को लागू किया गया है, जो वर्तमान प्रशासनिक और सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार की गई है।
नए नियमों का उद्देश्य और प्रभाव
उत्तर प्रदेश में ग्रामीण विकास की प्रक्रिया को और अधिक सुचारु, पारदर्शी तथा दक्ष बनाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर विभाग ने इस नियमावली को तैयार किया। इससे न केवल ग्राम विकास अधिकारियों के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, बल्कि उनकी सेवा संरचना को भी सुदृढ़ किया गया है।
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