क्या है ‘अकुला-क्लास’ पनडुब्बी और क्यों है खास?
अकुला-क्लास सबमरीन दुनिया की सबसे खतरनाक परमाणु संचालित हमलावर पनडुब्बियों में गिनी जाती है। इनकी सबसे बड़ी ताकत है इनकी स्टील्थ क्षमता, यानी यह समुद्र के भीतर ‘चुपचाप’ दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है।
इस पनडुब्बी की प्रमुख विशेषताएं:
परमाणु ऊर्जा से चलने वाली, यानी लंबे समय तक बिना सतह पर आए ऑपरेशन में सक्षम।
टॉरपीडो, एंटी-शिप और क्रूज मिसाइलों से लैस।
एंटी-सबमरीन और एंटी-सरफेस मिशनों में सक्षम।
गहराई से ‘लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक’ के लिए डिजाइन की गई।
1500 KM से ज्यादा रेंज वाली ‘कालिबर’ मिसाइल से होगी लैस:
इस सबमरीन में रूस ने भारत को 3M14K 'क्लब' मिसाइल का एडवांस वर्जन लगाने की पेशकश की है, जो 1,500–2,000 किलोमीटर तक दुश्मन पर अचूक वार कर सकती है। यह मिसाइल सबमरीन से सीधे पानी के अंदर से दागी जा सकती है, जिससे दुश्मन को बिना चेतावनी के बड़ा झटका दिया जा सकता है। यह क्षमता खासकर तब और महत्वपूर्ण हो जाती है जब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की सैन्य उपस्थिति बढ़ती जा रही है और भारत को समुद्री मोर्चे पर सशक्त प्रतिक्रिया देनी है।
क्यों है यह डील रणनीतिक रूप से अहम?
भारत और रूस के बीच यह $3 बिलियन (लगभग ₹25,000 करोड़) की डील 2019 में हुई थी। इसके तहत, एक अपग्रेडेड अकुला-क्लास सबमरीन 2028 तक भारत को लीज पर दी जाएगी। हालांकि इसमें कुछ देरी हुई है, लेकिन रूस ने इसे और उन्नत बनाने की पेशकश कर के इसे संतुलित किया है।
इस पनडुब्बी के क्या होंगे रणनीतिक फायदे:
इंडो-पैसिफिक में भारत की निगरानी और दबदबा बढ़ेगा।
चीन की बढ़ती समुद्री ताकत को जवाब देने की क्षमता।
परमाणु हमला करने में Second Strike Capability और भी सुदृढ़ होगी।
'Make in India' सबमरीन प्रोग्राम के लिए टेक्नोलॉजी और अनुभव।
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