एक्सप्रेसवे की विशेषताएं और महत्व
यह नया एक्सप्रेसवे ग्रीनफील्ड मॉडल पर विकसित किया जाएगा, जिसका मतलब है कि इसे पूरी तरह से नए और सीधी मार्ग पर बनाया जाएगा। इससे यात्रियों को तेज़ और निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी, साथ ही यात्रा का समय और ईंधन की खपत भी कम होगी। यह छह लेन चौड़ा होगा, जिसे भविष्य में आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा।
प्रदेश में एक्सप्रेसवे नेटवर्क का विस्तार
उत्तर प्रदेश में पहले से ही यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे जैसे महत्वपूर्ण मार्ग हैं। नया एक्सप्रेसवे इन सभी मार्गों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण कॉरिडोर साबित होगा, जो पश्चिमी और पूर्वी यूपी के औद्योगिक इलाकों को सीधे जोड़कर आर्थिक गतिविधियों को नई गति देगा।
इन जिलों के लिए वरदान साबित होगा
22 जिलों और 37 तहसीलों के निवासियों को इस एक्सप्रेसवे से बेहतर सड़क संपर्क मिलेगा। छोटे कस्बों और गांवों को राजधानी लखनऊ और NCR से जोड़ा जाएगा, जिससे सड़क यात्रा का समय 40-50 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सेवाओं तक पहुंच भी आसान होगी, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
निर्माण का समय और प्रक्रिया
आपको बता दें की प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) अंतिम चरण में है। भूमि अधिग्रहण कार्य जल्द शुरू होगा और अगले साल के मध्य तक निर्माण कार्य आरंभ होने की संभावना है। पूरा एक्सप्रेसवे 3 से 4 वर्षों में बनकर तैयार हो जाएगा। यह यूपी के गोरखपुर से शामली तक 700 किलोमीटर लंबा होगा। इससे यूपी के 22 जिलों अयोध्या, संतकबीरनगर, बाराबंकी, गोंडा, बस्ती, बहराइच, लखनऊ, सीतापुर, शाहजहांपुर, हरदोई,रामपुर, मुरादाबाद, संभल, बदायूं, बरेली, अमरोहा, बिजनौर, मेरठ, मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर आपस में जुड़ेंगे।
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