बच्चेदानी में गांठ के 5 लक्षण - नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

हेल्थ डेस्क। महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं शुरू में बहुत मामूली लग सकती हैं, लेकिन समय रहते ध्यान न दिया जाए तो ये गंभीर रूप ले सकती हैं। ऐसी ही एक समस्या है बच्चेदानी (गर्भाशय) में गांठ बनना, जिसे मेडिकल भाषा में यूटेराइन फाइब्रॉइड कहा जाता है। यह आमतौर पर एक गैर-घातक (नॉन-कैंसरस) गांठ होती है, लेकिन इसके कारण शरीर में कई तरह के असामान्य लक्षण नजर आ सकते हैं।

भारत में हर 5 में से 1 महिला को किसी न किसी उम्र में गर्भाशय में गांठ की समस्या हो सकती है, खासकर 30 से 45 की उम्र के बीच। लेकिन अफसोस की बात यह है कि महिलाएं अक्सर इसे नजरअंदाज कर देती हैं या इसे सामान्य महिलाओं की समस्या मानकर टाल देती हैं।

1. अत्यधिक मासिक रक्तस्राव

अगर हर महीने पीरियड्स के दौरान खून जरूरत से ज्यादा और लंबे समय तक बहता है, तो यह एक संकेत हो सकता है। कुछ मामलों में महिलाओं को हर घंटे पैड बदलना पड़ता है।

2. पेट के निचले हिस्से में भारीपन या सूजन

गांठ बढ़ने पर यह आसपास के अंगों पर दबाव डाल सकती है, जिससे पेट के निचले हिस्से में सूजन या भारीपन महसूस होता है। कई बार यह गर्भावस्था जैसा दिखता है।

3. लगातार पेशाब आना या पेशाब रुक-रुक कर आना

गांठ अगर मूत्राशय पर दबाव डालती है, तो पेशाब बार-बार आने लगता है, या पेशाब पूरी तरह नहीं निकलता। यह संक्रमण का कारण भी बन सकता है।

4. महिलाओं के पीठ या पैर में लगातार दर्द की समस्या रहना

बड़ी गांठ रीढ़ की हड्डी या नसों पर दबाव डाल सकती है, जिससे पीठ या पैरों में दर्द महसूस हो सकता है। इसे अक्सर लोग थकान या अन्य कारणों से जोड़ लेते हैं।

5.महिलाओं को कोशिश के बावजूद भी गर्भधारण में समस्या होना

अगर आप लंबे समय से संतान की कोशिश कर रही हैं लेकिन गर्भधारण नहीं हो पा रहा, तो इसका एक कारण गर्भाशय में गांठ भी हो सकती है। यह भ्रूण के विकास में बाधा बन सकती है।

समाधान क्या है?

गर्भाशय में गांठ का इलाज संभव है, और यह उसकी स्थिति, आकार और लक्षणों पर निर्भर करता है। आमतौर पर अल्ट्रासाउंड से इसकी पुष्टि होती है। इलाज में दवाइयों से लेकर सर्जरी तक के विकल्प मौजूद हैं। कुछ मामलों में यूटराइन फाइब्रॉइड एम्बोलाइज़ेशन जैसी आधुनिक तकनीकों का भी सहारा लिया जाता है।

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