ऊर्जा संकट का समाधान
बिहार में उद्योग, कृषि और घरेलू उपयोग के लिए बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुए बक्सर थर्मल पावर प्रोजेक्ट की योजना बनाई गई थी। यह परियोजना न सिर्फ राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
परियोजना की पहली यूनिट, जिसकी क्षमता 660 मेगावाट है, जल्द ही कार्यशील हो जाएगी। दूसरी यूनिट को भी इसी साल चालू करने की योजना है। दोनों यूनिटों के चालू होने के बाद कुल उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट हो जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इस परियोजना से उत्पादित 85% बिजली बिहार को ही मिलेगी।
सुपर क्रिटिकल तकनीक और सुविधाएं
बक्सर ताप विद्युत परियोजना सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित है, जिससे अधिक दक्षता के साथ कम उत्सर्जन होता है। इससे न केवल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित किया जा सकेगा। परियोजना की पहली यूनिट का परीक्षण सफलतापूर्वक चल रहा है। हाल ही में कोयले की आपूर्ति शुरू हो चुकी है और गंगा का पानी पाइपलाइन के जरिए संयंत्र तक पहुंच चुका है, जो कि यूनिट के संचालन के लिए आवश्यक है।
भविष्य की तैयारी: तीसरी यूनिट की योजना
बक्सर थर्मल पावर प्रोजेक्ट का संचालन सतलज जल विद्युत निगम (SJVN) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी SJVN थर्मल पावर लिमिटेड (STPL) के हाथों में है। वर्तमान में चल रही दो यूनिटों के अलावा, कंपनी ने इसी परिसर में 800 मेगावाट की तीसरी यूनिट लगाने की योजना भी तैयार कर ली है। इसके लिए केंद्र सरकार की प्रारंभिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है, जो भविष्य में बिहार की ऊर्जा आवश्यकताओं को और मजबूती देगी।
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