क्या है सैटेलाइट टाउनशिप योजना?
सैटेलाइट टाउनशिप ऐसी नियोजित आवासीय और व्यावसायिक बस्तियां होती हैं जो मुख्य शहर के बाहर विकसित की जाती हैं। इसका मकसद मुख्य शहरी केंद्रों पर जनसंख्या और यातायात के दबाव को कम करना होता है, साथ ही नागरिकों को बेहतर आवासीय और सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध कराना होता है। बिहार सरकार की योजना है कि हर प्रमंडलीय शहर के पास एक सैटेलाइट टाउनशिप विकसित की जाए, जिससे वहां के लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी जरूरी सुविधाएं स्थानीय स्तर पर मिल सकें।
सलाहकार समिति का किया जायेगा गठन
इस महत्वाकांक्षी योजना को कारगर तरीके से लागू करने के लिए सलाहकार समिति का गठन किया जाएगा। जिले के जिलाधिकारी समिति के अध्यक्ष होंगे और संबंधित शहरी निकायों के अधिकारी, नगर नियोजक, भू-अर्जन पदाधिकारी, अंचलाधिकारी सहित कई विभागों के प्रतिनिधि इस समिति का हिस्सा होंगे। इसके अलावा, शहरी नियोजन से जुड़े विशेषज्ञ को भी शामिल किया जाएगा ताकि योजना में व्यावसायिक दृष्टिकोण भी शामिल हो।
भूमि अधिग्रहण और छोटे भूस्वामियों का संरक्षण
इस योजना में भूस्वामियों के हितों का विशेष ध्यान रखा गया है। किसी भी प्रकार की जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया तभी होगी जब भूमि स्वामित्व की पुष्टि और दस्तावेजों का सत्यापन कर लिया जाएगा। यह कार्य राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और निबंधन विभाग के परामर्श से किया जाएगा। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि छोटे भूस्वामियों को इस योजना से बाहर न किया जाए। इसके लिए छोटे भूखंडों की संख्या कम करने और उन्हें समुचित उपयोग योग्य भूखंड देने की व्यवस्था की जाएगी, जिससे वे भी विकास का हिस्सा बन सकें।
विकासकर्ताओं का चयन और स्वीकृति प्रक्रिया
टाउनशिप के निर्माण के लिए जिम्मेदार विकासकर्ताओं (डेवलपर्स) का चयन नगर विकास विभाग द्वारा नामित विकास प्राधिकरण के माध्यम से किया जाएगा। सलाहकार समिति को यह अधिकार होगा कि वे टाउनशिप की आंशिक या पूर्ण स्वीकृति देने या अस्वीकृति की अनुशंसा कर सकें। भूमि पुनर्वितरण से जुड़े सभी निर्णय भी इस समिति की देखरेख में लिए जाएंगे।
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