क्या हैं हाइपरसोनिक हथियार और क्यों हैं ये खास?
हाइपरसोनिक हथियार वे उन्नत मिसाइलें होती हैं, जो ध्वनि की गति (Mach 1) से पाँच गुना से अधिक तेज़, यानी Mach 5+ की रफ्तार से उड़ान भरती हैं। इनकी सबसे बड़ी ताकत सिर्फ उनकी रफ्तार नहीं, बल्कि उनकी दिशा बदलने की क्षमता है। पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलें अपेक्षाकृत तय मार्ग पर चलती हैं, जिन्हें कुछ हद तक ट्रैक किया जा सकता है। लेकिन हाइपरसोनिक हथियार उड़ान के दौरान अप्रत्याशित ढंग से दिशा बदल सकते हैं, जिससे दुनिया की कोई भी मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणाली उन्हें ट्रैक कर पाना या निष्क्रिय कर पाना लगभग असंभव हो जाता है।
भारत की रणनीतिक तैयारी: DRDO का मिशन
भारत सरकार की प्रमुख रक्षा अनुसंधान संस्था DRDO इन हथियारों के विकास में पूरी ताकत झोंक रही है। DRDO के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत के अनुसार, हाइपरसोनिक तकनीक भारत की रणनीतिक क्षमताओं में एक नया अध्याय जोड़ेगी। उनका कहना है कि ये हथियार भारत को न केवल अचूक प्रतिउत्तर देने की ताकत देंगे, बल्कि किसी भी संभावित आक्रामकता का त्वरित और निर्णायक जवाब देने में सक्षम बनाएंगे।
दो प्रमुख हाइपरसोनिक परियोजनाएं
भारत फिलहाल दो प्रमुख हाइपरसोनिक हथियार प्रणालियों पर कार्य कर रहा है:
1. हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन (HGVs): यह तकनीक पारंपरिक मिसाइलों पर आधारित होती है। पहले एक बैलिस्टिक मिसाइल HGV को ऊँचाई तक पहुंचाती है, उसके बाद वह अपने लक्ष्य की ओर हाइपरसोनिक गति से ग्लाइड करता है। इसकी उड़ान के दौरान यह अत्यधिक फुर्ती से दिशा बदल सकता है। अनुमान है कि HGV प्रोजेक्ट अगले 2-3 वर्षों में पूरी तरह विकसित हो जाएगा।
2. हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें (HCMs): यह मिसाइलें स्क्रैमजेट इंजन से चलती हैं, जो इन्हें वातावरण में लगातार उच्च गति बनाए रखने में मदद करता है। इनकी रफ्तार और गतिशीलता इन्हें अत्यंत घातक और प्रभावशाली बनाती है। DRDO का लक्ष्य है कि ये मिसाइलें अगले 5 वर्षों में तैयार हो जाएं।
भविष्य का युद्धक्षेत्र और भारत की भूमिका
हाइपरसोनिक हथियार केवल रक्षा क्षेत्र की एक तकनीकी छलांग नहीं हैं, ये भविष्य के युद्ध की परिभाषा बदलने वाले तत्व हैं। इनकी मौजूदगी दुश्मन को पहले हमला करने से हतोत्साहित कर सकती है, क्योंकि जवाबी हमले से बचना असंभव होगा। ऐसे में भारत की यह तैयारी उसे न सिर्फ रणनीतिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी, बल्कि वैश्विक मंच पर एक विश्वसनीय सैन्य शक्ति के रूप में भी स्थापित करेगी।
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