शिक्षा में समानता और सुलभता की दिशा में बड़ा कदम
अब तक तकनीकी शिक्षा केवल कुछ चुनिंदा जिलों तक ही सीमित थी, जिससे ग्रामीण या पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण इंजीनियरिंग शिक्षा प्राप्त करने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना इस असमानता को खत्म करने की दिशा में निर्णायक कदम होगा।
सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी छात्र केवल आर्थिक तंगी की वजह से अपने सपनों से समझौता न करे। इसी उद्देश्य से फीस निर्धारण की एक नई योजना तैयार की जा रही है, जिसमें कॉलेजों में सीट के आधार पर शुल्क तय किया जाएगा। यह मॉडल शिक्षा को न केवल सुलभ बनाएगा, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए भी उच्च तकनीकी शिक्षा के द्वार खोलेगा।
राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत नींव
तकनीकी शिक्षा का विस्तार केवल छात्रों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर राज्य की समग्र विकास नीति पर भी दिखाई देगा। तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं की फौज तैयार होने से उद्योगों को कुशल मानव संसाधन मिलेगा, जिससे प्रदेश में निवेश बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
‘विकसित उत्तर प्रदेश 2047’ विज़न डॉक्यूमेंट का यह प्रस्ताव एक व्यापक सोच का परिणाम है, जिसमें युवाओं को केंद्र में रखकर नीतियाँ बनाई जा रही हैं। इससे स्पष्ट है कि सरकार केवल वर्तमान की नहीं, बल्कि भविष्य की तैयारी में भी जुटी है।
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