पिनाका Mk-III की तकनीकी उन्नतियां
पिनाका Mk-III, अपने पिछले संस्करणों Mk-I और Mk-II से काफी आगे बढ़ चुका है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी मारक क्षमता और सटीकता है। Mk-III की रेंज 120 किलोमीटर है। 300 मिमी कैलिबर के रॉकेट से लैस यह सिस्टम आधुनिक प्रोपल्शन और गाइडेंस तकनीक से सुसज्जित है। GPS और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) की मदद से पिनाका Mk-III की सटीकता बेहद उच्च है, जिसकी सीईपी मात्र 10 मीटर से भी कम है। इसका मतलब है कि यह रॉकेट अपने लक्ष्य के 10 मीटर के भीतर सटीक हमला कर सकता है।
मारक क्षमता और युद्ध में भूमिका
पिनाका Mk-III की एक बड़ी ताकत इसकी फायरिंग स्पीड है। एक सिंगल लॉन्चर 12 रॉकेट मात्र 44 सेकंड के भीतर दाग सकता है, जिससे तेजी से और प्रभावशाली हमले संभव हो पाते हैं। यदि एक रेजिमेंट के 18 लॉन्चर एक साथ तैनात हों, तो वे करीब 1000 x 800 मीटर के इलाके को बड़े पैमाने पर तबाह करने में सक्षम होंगे। इस क्षमता से भारतीय सेना को बड़े क्षेत्र में दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने की ताकत मिलती है।
आर्थिक और सामरिक महत्व
इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपये है, जो इसे देश की रक्षा निवेश योजना में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है। इतना बड़ा निवेश भारतीय रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने और नौकरियों के सृजन में भी मदद करेगा। साथ ही, विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम होने से भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता बढ़ेगी।
भविष्य की दिशा
पिनाका Mk-III का पहला परीक्षण अक्टूबर 2025 में होने की उम्मीद है, जिसके बाद यूजर ट्रायल भी वर्ष के अंत तक शुरू हो सकता है। इस हथियार प्रणाली के सफल परीक्षण और तैनाती से भारत की तोपखाना ताकत में एक नई क्रांति आएगी। यह न केवल सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भारत की सैन्य साख को भी बढ़ावा देगा।
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