हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस के निकट दो बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियाँ भेजने के आदेश ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा जगत में हलचल मचा दी थी। यह कोई साधारण सैन्य कदम नहीं था, बल्कि रूस को एक स्पष्ट संदेश हैं।
अमेरिकी पनडुब्बी शक्ति: तकनीक, सटीकता और चुप्पी का मेल
अमेरिका की ताकत उसके अत्याधुनिक और अत्यधिक सटीक पनडुब्बियों में छुपी है। ओहायो-क्लास की 14 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियाँ अमेरिकी परमाणु त्रिकोण की रीढ़ हैं। प्रत्येक पनडुब्बी में 20 Trident II D5 मिसाइलें होती हैं, जो एक साथ कई लक्ष्य भेदने की क्षमता रखती हैं। इन मिसाइलों की रेंज, सटीकता और विनाशकारी शक्ति अमेरिका को समुद्री दबदबे का सबसे बड़ा दावेदार बनाती है।
लेकिन सिर्फ बैलिस्टिक हमले ही नहीं — अमेरिका के पास तेज़, खुफिया और घातक हमलावर पनडुब्बियों का एक पूरा बेड़ा है। वर्जीनिया-क्लास, सीवुल्फ-क्लास और लॉस एंजिल्स-क्लास की ये SSN पनडुब्बियाँ टॉमहॉक और हार्पून मिसाइलों के साथ समुद्र में छिपे किसी भी खतरे का अंत कर सकती हैं। 24 से अधिक वर्जीनिया-क्लास पनडुब्बियों के साथ अमेरिका आज तकनीकी रूप से सबसे उन्नत पनडुब्बी युद्ध शक्ति है।
रूसी ताकत: आकार, घातकता और आक्रामक रणनीति
रूस की नौसेना संख्यात्मक रूप से मजबूत है। लगभग 64 पनडुब्बियों में से 14 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां हैं, जिनमें बोरेई और डेल्टा IV-क्लास शामिल हैं। बोरेई-क्लास की परमाणु पनडुब्बियां 16 RSM-56 बुलावा मिसाइलें लेकर चलती हैं, जो रूसी परमाणु त्रिकोण की समुद्री शाखा को मज़बूती देती हैं।
रूस की रणनीति केवल बैलिस्टिक हमलों तक सीमित नहीं है। यासेन-क्लास और अकुला-क्लास की तेज हमलावर पनडुब्बियां विशेष रूप से अमेरिका की चुनौती का जवाब देने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। यासेन-क्लास मिसाइलों और टॉरपीडो के साथ लंबी दूरी तक हमला कर सकती हैं, वहीं अकुला-क्लास की गहराइयों से चुपचाप वार करने की क्षमता रूस की पारंपरिक ‘खुफिया आक्रमण’ रणनीति को मजबूत करती है।
तकनीकी बनाम संख्यात्मक श्रेष्ठता
यह जंग सिर्फ मिसाइलों की रेंज या पनडुब्बियों की संख्या की नहीं है, बल्कि यह युद्ध रणनीति, तकनीकी उन्नयन और गुप्त संचालन की क्षमता पर टिकी है। अमेरिका की पनडुब्बियां कम आवाज़, बेहतर सटीकता और त्वरित डेटा प्रोसेसिंग क्षमताओं के लिए जानी जाती हैं। वहीं रूस की पनडुब्बियां अपने विशाल हथियार भंडारण और पारंपरिक घातकता के लिए पहचानी जाती हैं।
क्या फिर से लौटेगा शीत युद्ध का साया?
अमेरिका और रूस के बीच ये बढ़ती पनडुब्बी शक्ति की प्रतिस्पर्धा कुछ विशेषज्ञों को 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट की याद दिलाती है। समुद्र के नीचे चल रही यह जंग सतह पर तो शांत लगती है, लेकिन इसमें छुपा तनाव विस्फोटक है। दोनों ही देश रणनीतिक दबाव बनाने के लिए अपनी पनडुब्बियों को वैश्विक जलक्षेत्रों में सक्रिय रखते हैं।

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