भारत के 'विदेशी मुद्रा भंडार' में जबरदस्त बढ़ोतरी

नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए हालिया सप्ताह राहत और उम्मीद की नई किरण लेकर आया है। 25 जुलाई 2025 को समाप्त हुए सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में $2.703 अरब डॉलर की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे कुल भंडार बढ़कर $698.192 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह बढ़त ऐसे समय में आई है जब तीन सप्ताह तक लगातार गिरावट का दौर जारी था।

विदेशी मुद्रा भंडार: अर्थव्यवस्था की ढाल

विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की आर्थिक सुरक्षा का अहम आधार होता है। यह न केवल आयात-निर्यात संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की वित्तीय विश्वसनीयता को भी मज़बूती देता है। हालिया आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक दबावों के बावजूद स्थिरता की ओर बढ़ रही है।

बढ़त के प्रमुख स्रोत

1. फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA): सबसे बड़ा योगदान

इस सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा योगदान Foreign Currency Assets (FCA) से आया है, जिसमें $1.316 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि अमेरिकी डॉलर के अलावा यूरो, येन और पाउंड जैसी अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले विनिमय दर में सुधार के चलते भी दर्ज की गई है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि FCA कुल फॉरेक्स रिज़र्व का सबसे बड़ा हिस्सा होता है, इसलिए इसमें मामूली उतार-चढ़ाव भी समग्र भंडार को प्रभावित करता है।

2. सोने का भंडार: स्थिर संपत्ति में मजबूती

सोने के भंडार में $1.206 अरब डॉलर की बढ़त देखने को मिली है, जिससे कुल स्वर्ण भंडार $85.704 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह संकेत करता है कि भारत ने सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में सोने पर भरोसा बनाए रखा है। इससे पहले भी एक सप्ताह में $150 मिलियन की बढ़त देखी गई थी, जो इस ट्रेंड की पुष्टि करता है।

3. SDR और IMF रिज़र्व: परोक्ष सहारा

स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) में इस बार $126 मिलियन की वृद्धि हुई है, और यह अब $18.809 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। वहीं, IMF के पास जमा रिज़र्व में भी $55 मिलियन की बढ़त दर्ज की गई है, जो अब $4.753 अरब डॉलर है। यह इंगित करता है कि भारत ने अपने अंतरराष्ट्रीय संस्थागत सहयोग को भी मज़बूती दी है।

क्या है इसका व्यापक असर?

यह बढ़त घरेलू मुद्रा रुपया को स्थिरता देने में सहायक हो सकती है, खासकर तेल जैसी महंगी वस्तुओं के आयात के समय। विदेशी निवेशकों के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है कि भारत की आर्थिक बुनियाद मज़बूत हो रही है। साथ ही, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच यह भंडार भारत को बाहरी झटकों से बचाने में मददगार होगा।

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