यूपी में 1000 से कम आबादी वाले गांवों को लेकर बड़ा अपडेट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 से पहले ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की कवायद शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य राज्य के उन गांवों की स्थिति स्पष्ट करना है, जिनकी जनसंख्या एक हजार से कम है या जो शहरी सीमा विस्तार की वजह से मौजूदा पंचायत ढांचे से बाहर हो चुके हैं।

पंचायतीराज विभाग के निर्देश पर इस बार ग्राम पंचायतों के ढांचे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। छोटे-छोटे गांवों को अब निकटवर्ती ग्राम पंचायतों में शामिल किया जाएगा, ताकि ग्राम पंचायतों की संरचना मजबूत, व्यावहारिक और प्रशासनिक रूप से प्रभावी हो सके।

शहरीकरण के चलते बदली पंचायतों की स्थिति

वर्ष 2021 के पंचायत चुनावों के बाद कई गांव, नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर निगम क्षेत्रों में समाहित हो गए हैं। शहरी क्षेत्र के विस्तार से अनेक ग्राम पंचायतों की स्थिति अधर में लटक गई है। कई पंचायतों में एकमात्र राजस्व गांव ही अब नगरीय निकाय का हिस्सा बन चुका है, जिससे वे स्वतः ही ग्राम पंचायत बनाने के मानक से बाहर हो गए हैं।

1000 की आबादी का मानक

पंचायतीराज विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार के अनुसार, "एक हजार की न्यूनतम जनसंख्या पर ही ग्राम पंचायत गठित की जाएगी।" जिन ग्राम पंचायतों में अब सिर्फ एक ही राजस्व गांव बचा है और वह भी इस मानक को पूरा नहीं करता, उसे पास की पंचायतों में शामिल कर दिया जाएगा। 

इसके विपरीत, यदि कोई राजस्व गांव शहरी क्षेत्र में शामिल होने के बाद भी ग्राम पंचायत के गठन के मानक (1000 की आबादी) को पूरा करता है, तो उसे स्वतंत्र रूप से ग्राम पंचायत घोषित किया जा सकता है। इसको लेकर तैयारी की जा रही हैं।

आंशिक रूप से प्रभावित पंचायतों को मिलेगा संरक्षण

ऐसी ग्राम पंचायतें जिनका एक हिस्सा शहरी क्षेत्र में गया है लेकिन शेष जनसंख्या अभी भी 1000 के मानक पर कायम है, उन्हें जैसा है, वैसा ही बनाए रखने की तैयारी है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्राम स्तर पर विकास योजनाओं और जनकल्याणकारी नीतियों का क्रियान्वयन बाधित न हो।

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