सहकारिता विभाग के सचिव धर्मेन्द्र सिंह ने इस नई जिम्मेदारी के तहत पैक्स को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, “यदि आवश्यकता पड़ी तो नई समितियों का गठन भी किया जाएगा। इस पहल से जहां एक ओर स्थानीय उत्पादों का विपणन बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।”
पर्यटन के साथ मखाना उद्योग को भी मिलेगा बढ़ावा
सहकारिता विभाग ने बिहार के पारंपरिक मखाना उत्पादन को भी इस योजना में अहम स्थान दिया है। विभाग ने मखाना उत्पादक सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को मखाना खेती तथा विपणन को बेहतर बनाने के लिए योजनाएं तैयार करने का निर्देश दिया है।
दरअसल मखाना किसानों को उत्पादन की शुरुआत में अधिक पूंजी की जरूरत होती है, जिसे वे प्राइवेट व्यापारियों से लेते हैं और इसी वजह से उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। इस समस्या के समाधान हेतु विभाग ने जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को मखाना उत्पादकों को पूंजी सहायता देने के लिए आगे आने को कहा है। इसके अलावा, मखाना उत्पादकों को पांच लाख रुपये तक किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) उपलब्ध कराने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है।
नई पहल से रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी ताकत
सचिव धर्मेन्द्र सिंह के अनुसार, यह पहल न केवल पर्यटन के नए रास्ते खोलेगी बल्कि स्थानीय उत्पादों के प्रमोशन, किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और ग्रामीण स्तर पर रोजगार को भी नया आयाम देगी। पर्यटन विभाग की विभिन्न योजनाओं से भी पैक्स को सीधे लाभ मिलने की संभावना है।
बिहार सरकार की इस बहुआयामी पहल से राज्य में सहकारिता आंदोलन को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो आने वाले समय में बिहार का ग्रामीण परिवेश पर्यटन और मखाना जैसे विशेष कृषि उत्पादों के ज़रिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकता है।
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