ASAT मिसाइल टेक्नोलॉजी: भारत समेत 4 देशों के पास

नई दिल्ली। आज के वैश्विक युग में अंतरिक्ष रक्षा (Space Defense) एक अहम रणनीतिक मोर्चा बन चुका है। इसी कड़ी में एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल टेक्नोलॉजी की अहमियत लगातार बढ़ रही है। भारत समेत सिर्फ कुछ चुनिंदा देश ही इस तकनीक में महारत हासिल कर पाए हैं। वर्तमान में दुनिया में केवल चार देश ASAT मिसाइल टेक्नोलॉजी में अग्रणी हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।

ASAT मिसाइल क्या है?

ASAT मिसाइलें वे हथियार हैं जो सीधे पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में मौजूद उपग्रहों को निशाना बनाकर नष्ट कर सकती हैं। इसका उद्देश्य दुश्मन के संचार, नेविगेशन, और खुफिया उपग्रहों को निष्क्रिय करना है, जिससे युद्ध में उनकी सैन्य ताकत कमजोर पड़ जाए।

भारत और ASAT तकनीक

भारत ने 2019 में “मिशन शक्ति” के तहत सफलतापूर्वक ASAT मिसाइल परीक्षण किया था। इस परीक्षण ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन के साथ ASAT मिसाइल तकनीक रखने वाले चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया। मिशन शक्ति के तहत भारत ने अंतरिक्ष में मौजूद लक्षित उपग्रह को मार गिराकर अपनी क्षमताओं का प्रमाण दिया।

दुनिया के चार अग्रणी देश

1 .अमेरिका विश्व के पहले देश जिसने ASAT मिसाइल तकनीक विकसित की। अमेरिका के पास एंटी-सैटेलाइट हथियारों का व्यापक और अत्याधुनिक संग्रह है।

2 .रूस: रूस ने भी कई बार ASAT मिसाइल परीक्षण किए हैं और विश्व की प्रमुख सैन्य ताकतों में से एक है। रूस के पास भी ये तकनीक मौजूद हैं।

3 .चीन: चीन ने 2007 में ASAT मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो विश्व के लिए एक बड़ा संकेत था। चीन ने अपने अंतरिक्ष हथियारों को लगातार उन्नत किया है।

4 .भारत: 2019 में मिशन शक्ति से भारत ने अपनी इस क्षमता का जोरदार प्रदर्शन किया, जिससे वह अंतरिक्ष सुरक्षा क्षेत्र में अपने कदम मजबूत कर सका।

महत्व और चुनौतियां

ASAT मिसाइल तकनीक का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि आज हर देश की सैन्य ताकत उसके उपग्रहों पर निर्भर करती है। उपग्रह संचार, निगरानी और नेविगेशन के लिए जरूरी हैं। यदि युद्ध के दौरान ये उपग्रह नष्ट हो जाएं, तो देश की रणनीतिक क्षमता प्रभावित होती है।

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