चंद्रमा से लेकर अंतरिक्ष युद्ध तक: भारत की शक्ति से असहज चीन!

नई दिल्ली। भारत ने साबित कर दिया है कि वह सिर्फ धरती पर ही नहीं, अब अंतरिक्ष में भी एक शक्तिशाली और निर्णायक भूमिका निभाने लगा है। चंद्रयान-3 की सफलता, गगनयान मिशन की तैयारी, और ASAT (एंटी-सैटेलाइट) मिसाइल परीक्षण जैसी उपलब्धियों ने भारत को एक उभरती हुई स्पेस सुपरपॉवर की श्रेणी में ला खड़ा किया है। इस प्रगति से चीन जैसे वैश्विक प्रतिद्वंद्वी देशों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है, क्योंकि भारत अब अंतरिक्ष में भी रणनीतिक ताकत बनकर उभर रहा है।

चंद्रयान से चौंकाया, अंतरिक्ष युद्ध क्षमता से चौकन्ना किया

भारत का चंद्रयान-3 मिशन, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा, न सिर्फ तकनीकी उपलब्धि थी, बल्कि इससे भारत की वैज्ञानिक क्षमता को भी दुनिया ने स्वीकार किया। वहीं 2019 में हुए “मिशन शक्ति” के तहत भारत ने ASAT मिसाइल से 300 किमी ऊंचाई पर एक सैटेलाइट को मार गिराकर यह दिखा दिया कि अब वह अंतरिक्ष में भी रक्षा करने में सक्षम है।

यह परीक्षण केवल तकनीकी प्रदर्शन नहीं था, यह एक स्पष्ट संदेश था कि भारत अब अंतरिक्ष में भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैयार है – और यही कारण है कि चीन जैसे देशों की रणनीतिक योजना में भारत अब एक अहम फैक्टर बन चुका है।

चीन की बढ़ती चिंता: क्यों?

चीन ने वर्षों पहले से अपने स्पेस डोमिनेंस की रणनीति पर काम शुरू कर दिया था। उसने अंतरिक्ष में पनपती सैन्य और निगरानी तकनीकों को गुप्त रूप से विकसित किया है। लेकिन भारत की तेज़ प्रगति – और वो भी खुले वैज्ञानिक और शांतिपूर्ण मॉडल के साथ – चीन के लिए एक चुनौती और रणनीतिक असहजता बन चुकी है।

भारत की ये क्षमताएं चीन को चिंतित करती हैं:

1 .ASAT मिसाइल क्षमता: चीन ने 2007 में इस तकनीक का परीक्षण किया था, लेकिन अब भारत की मौजूदगी से उसका एकाधिकार टूटा है।

2 .गगनयान और मानव अंतरिक्ष उड़ान: भारत की तैयारी चीन के दीर्घकालिक वर्चस्व के सामने एक नया मोर्चा खोल रही है।

3 .ISRO की विश्वसनीयता और लागत-कुशल तकनीक: चीन की स्पेस एजेंसी CNSA की तुलना में ISRO ने दुनिया को कम खर्च में बेहतर मिशन दे कर दिखाया है।

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