क्वांटम कंप्यूटर की रेस: अमेरिका, चीन, भारत समेत ये देश आगे!

नई दिल्ली। 21वीं सदी की तकनीकी क्रांति के केंद्र में अब एक नया नाम तेजी से उभर रहा है – क्वांटम कंप्यूटिंग। जहां पारंपरिक कंप्यूटर ‘बिट्स’ में काम करते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर ‘क्वबिट्स’ के माध्यम से जटिल समस्याओं को चुटकियों में हल कर सकते हैं। इस तकनीक की असाधारण शक्ति को देखते हुए अब यह अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का एक प्रमुख क्षेत्र बन चुका है। अमेरिका, चीन और भारत समेत कई देश इस दौड़ में अपनी-अपनी दावेदारी मजबूती से पेश कर रहे हैं।

अमेरिका: तकनीकी नेतृत्व और वैश्विक निवेश

तकनीकी नवाचार में अग्रणी अमेरिका ने क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में सबसे पहले ठोस कदम उठाए। गूगल ने हाल में में ‘विलो’ नामक 105-क्यूबिट सुपरकंडक्टिंग क्वांटम प्रोसेसर का अनावरण किया, जो एरर करेक्शन की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। इसके अतिरिक्त, अमेरिकी कंपनी D-Wave ने अपने नवीनतम क्वांटम कंप्यूटिंग सिस्टम ‘Advantage2’ को 40 से अधिक देशों में उपलब्ध कराया है। अमेरिकी सरकार और निजी कंपनियों के बीच क्वांटम क्षेत्र में भारी निवेश से यह साफ है कि अमेरिका इस रेस में बढ़त बनाए रखना चाहता है।

चीन: रणनीतिक योजना और तेजी से विस्तार

चीन ने तकनीक को केवल विज्ञान का हिस्सा नहीं, बल्कि रणनीतिक शक्ति के रूप में देखा है। 2016 की पंचवर्षीय योजना में ही चीन ने क्वांटम तकनीक को राष्ट्रीय प्राथमिकता में शामिल कर लिया था। आज चीन क्वांटम संचार (Quantum Communication) और कंप्यूटिंग दोनों में विश्व स्तर पर सक्रिय है। बीजिंग की सरकारी लैब्स और स्टार्टअप मिलकर अब 1000-क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटर की दिशा में काम कर रहे हैं, जो पारंपरिक सुपरकंप्यूटिंग को भी पीछे छोड़ सकता है।

भारत: वैज्ञानिक सोच और राष्ट्रीय संकल्प

भारत ने भी ‘राष्ट्रीय क्वांटम मिशन’ की शुरुआत की, जिसका बजट ₹6003 करोड़ रखा गया। इस मिशन के अंतर्गत देश के चार प्रमुख संस्थानों—IISc बेंगलुरु, IIT दिल्ली, IIT बॉम्बे और IIT मद्रास में चार थीमैटिक हब बनाए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य देश को क्वांटम अनुसंधान, तकनीकी विकास और स्टार्टअप नवाचार में आत्मनिर्भर बनाना है।

इसके अलावा, आंध्र प्रदेश में भारत का पहला ‘क्वांटम वैली टेक पार्क’ भी आकार ले रहा है, जिसे 2026 तक पूरी तरह चालू करने की योजना है। भारत ने अमेरिका के साथ ‘iCET’ (India–US Initiative on Critical and Emerging Technologies) के अंतर्गत क्वांटम तकनीक में सहयोग को भी बढ़ाया है, जिससे वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति और मजबूत हुई है।

अन्य देश भी पीछे नहीं

इसके अलावे, यूरोपीय संघ, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, और रूस भी क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश कर रहे हैं। जर्मनी के Jülich Supercomputing Centre में भी क्वांटम सिस्टम स्थापित किया जा चुका है। यूरोपीय संघ ने इस क्षेत्र में लगभग 1 बिलियन यूरो का फंड आवंटित किया है।

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