यूरेशियन टाइम्स के अनुसार रूसी सैन्य विश्लेषक इगोर कोरोचेंको ने स्पुतनिक को दिए बयान में कहा है कि भारत के लिए यह एक रणनीतिक अवसर हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत Su-57E का विशेष संस्करण ‘Su-57MKI’ चुन सकता है, जिसे भारतीय जरूरतों के अनुसार ढाला जाएगा। यह विमान R-37M मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली हथियार प्रणालियों से लैस हो सकता है।
रूसी ब्लॉगर्स और रक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि यह विमान तकनीकी दृष्टि से फ्रांस के राफेल से भी अधिक उन्नत है। इसके साथ रूस ने यह पेशकश भी की है कि अगर भारत इसे खरीदता है, तो जिन भारतीय कंपनियों ने Su-30MKI का निर्माण किया है, उन्हें ही Su-57E के निर्माण का जिम्मा भी सौंपा जा सकता है।
भारत की सतर्कता
हालांकि रूस की तरफ से यह प्रस्ताव आकर्षक लग सकता है, लेकिन भारत ने अब तक इस दिशा में कोई औपचारिक रुचि नहीं दिखाई है। भारतीय वायुसेना पहले ही फ्रांस से 36 राफेल विमान प्राप्त कर चुकी है और अब स्वदेशी परियोजनाओं पर अधिक फोकस कर रही है।
भारत का अगला बड़ा लक्ष्य है AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft), जो घरेलू स्तर पर विकसित किया जा रहा है और आने वाले वर्षों में परीक्षण के लिए तैयार हो सकता है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत अब ऐसे किसी भी रक्षा सौदे में केवल तकनीकी श्रेष्ठता नहीं, बल्कि मूल्य, दीर्घकालिक सहयोग और स्वदेशी उत्पादन की संभावनाओं को ध्यान में रखकर निर्णय ले रहा है।
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