धनुष मिसाइल न सिर्फ तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि यह भारत की सेकेंड स्ट्राइक क्षमता का अहम हिस्सा भी है। यह पृथ्वी-III का नौसैनिक संस्करण है, जिसे DRDO ने भारतीय नौसेना के जहाजों से लॉन्च करने के लिए खासतौर पर डिजाइन किया है।
क्या है धनुष मिसाइल?
धनुष मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा इंटीग्रेटेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) के तहत विकसित किया गया था। इसकी शुरुआत 2000 के दशक की शुरुआत में हुई और पहला सफल परीक्षण वर्ष 2000 में हुआ। यह मिसाइल समुद्र से जमीन पर परमाणु या पारंपरिक हथियारों से हमला करने में सक्षम है।
ताकत और तकनीक का मेल
धनुष की सबसे बड़ी ताकत इसकी रेंज और पेलोड क्षमता है। 350 किमी रेंज पर: 1000 किग्रा पेलोड, 600 किमी रेंज पर: 500 किग्रा, 750 किमी रेंज पर: 250 किग्रा। इसमें परमाणु (20–50 किलोटन) और पारंपरिक (थर्मोबेरिक, फ्रैगमेंटेशन) हथियार लगाए जा सकते हैं। स्पीड की बात करें तो यह मैक 7–8 तक जा सकती है यानी लगभग 9800 किमी/घंटा की रफ्तार!
डिजाइन और मारक क्षमता
धनुष मिसाइल की लंबाई 8.56 मीटर, व्यास 1.1 मीटर, और वजन लगभग 4600 किग्रा होता है। यह एक सिंगल-स्टेज लिक्विड फ्यूल प्रोपेलेंट मिसाइल है। इसमें स्ट्रैप-डाउन इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और GPS जैसी आधुनिक नेविगेशन तकनीकें लगी हैं, जो इसे 50 मीटर से कम की सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम बनाती हैं।
कैसे होती है लॉन्चिंग?
धनुष मिसाइल को भारतीय नौसेना के सतही जहाजों से लॉन्च किया जाता है। मिसाइल को विशेष कैनिस्टर या वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) से दागा जाता है। INS सुभद्रा और INS सुखन्या जैसे युद्धपोतों से इसका सफल परीक्षण हो चुका है। रडार और नेविगेशन सिस्टम मिलकर टारगेट को लॉक करते हैं और फिर होता है दुश्मन पर अचूक वार।
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