बिहार के गांव-गांव में होगी पेयजल गुणवत्ता की जांच

पटना। "हर घर नल का जल" के तहत अब बिहार के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की गुणवत्ता की नियमित निगरानी होगी। राज्य सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पंचायत स्तर पर पेयजल जांच की नई व्यवस्था लागू की है, जिससे गांव-गांव में साफ और सुरक्षित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED) मंत्री नीरज कुमार सिंह ने जानकारी दी कि राज्य की सभी पंचायतों को मल्टी पैरामीटर फील्ड टेस्ट किट (FTK) उपलब्ध कराई जा रही है। इस किट की मदद से पानी की pH, टरबिडिटी, टीडीएस, रेसिडुअल क्लोरीन और नाइट्रेट जैसे महत्वपूर्ण मानकों की मौके पर ही जांच संभव होगी।

प्रभावित क्षेत्रों को मिलेगी विशेष सुविधा

आपको बारे दें की फ्लोराइड, आयरन और आर्सेनिक जैसे खतरनाक तत्वों से प्रभावित क्षेत्रों के लिए किट में विशेष रसायन भी शामिल किए गए हैं। इससे इन क्षेत्रों में जल की गुणवत्ता का सटीक मूल्यांकन पंचायत स्तर पर ही हो सकेगा।

हर पंचायत में नियुक्त होगा अभिरक्षक

प्रत्येक पंचायत में एक पंप ऑपरेटर या अनुरक्षक को FTK का अभिरक्षक नियुक्त किया जाएगा। यह अभिरक्षक हर माह पंचायत के सभी वार्डों से जल नमूने एकत्र करेगा और जांच करेगा। जांच के सभी परिणाम भारत सरकार के WQMIS पोर्टल पर अपलोड किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता और निगरानी दोनों बनी रहेगी।

अभियंताओं को मिलेगा प्रशिक्षण

इस योजना के सफल संचालन के लिए सभी संबंधित अभियंताओं को जिला स्तर पर एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में जिला जल जांच प्रयोगशाला के रसायनज्ञ, सहायक और समन्वयक शामिल होंगे। प्रशिक्षण के बाद, कनीय अभियंता पंचायतों में अभिरक्षकों का चयन व पंजीकरण कराएंगे।

एसओपी से बढ़ेगी पारदर्शिता

हर पंचायत को मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी प्रदान की गई है, ताकि जांच प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और व्यवस्थित हो। इस नई व्यवस्था से ग्रामीण जनता को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित किया जा सकेगा, जिससे स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों में भारी कमी आने की उम्मीद है।

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