कई मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि भारत, फ्रांस के इस अड़ियल रुख को देखते हुए राफेल की नई खरीद पर पुनर्विचार कर सकता है। भारत ने हाल ही में 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया था, लेकिन अब इसे टालने के संकेत मिल सकते हैं।
रूस की ओर भारत का रुख – क्यों SU-57 है मजबूत दावेदार?
ऐसे माहौल में भारत की नजर अब एक बार फिर अपने पुराने और भरोसेमंद रक्षा साझेदार रूस की ओर जा रही है। रूस ने भारत को Su-57 फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट की तकनीक साझा करने का खुला प्रस्ताव दिया है। यही नहीं, रूसी कंपनी इस विमान के टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में ही निर्माण की बात कर चुकी है। Su-57 रूस का सबसे उन्नत स्टील्थ फाइटर जेट है। यह विमान फिफ्थ जेनरेशन टेक्नोलॉजी से लैस है और चीन के J-20 या अमेरिका के F-35 को टक्कर देने की क्षमता रखता है।
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में रूस आगे, फ्रांस पीछे?
भारत लंबे समय से ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भरता की रणनीति पर काम कर रहा है। इस मिशन के तहत देश अपने फाइटर जेट, मिसाइल, रडार और इंजन जैसी महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनना चाहता है। फ्रांस ने न तो मिराज का सोर्स कोड दिया था, न ही अब राफेल का देने को तैयार है।
वहीं रूस, भारत के स्वदेशी इंजन ‘कावेरी’ की टेस्टिंग के लिए न केवल तैयार हुआ, बल्कि उसने अपने Il-76 विमान में इंजन को टेस्ट भी कराया। रूस ने Su-30MKI के समय भी व्यापक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया था। ऐसे में भारत Su-57 फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट खरीद पर विचार कर सकता हैं।
रणनीतिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद?
रूस ने हाल ही में भारत को S-400 डिफेंस सिस्टम सौंपा था और अब S-500 का प्रस्ताव भी दे दिया है। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जल्द ही रूस के दौरे पर जा रहे हैं, जहां Su-57 के साथ S-400 की अतिरिक्त यूनिट्स और S-500 पर भी बातचीत हो सकती है।
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