उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि यह निर्णय उन शिक्षकों के परिवारों के लिए वरदान साबित होगा, जिनकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई थी और उन्हें पूर्व में किसी तरह की ग्रेच्युटी नहीं मिल पाई थी।
किन शिक्षकों के परिजनों को मिलेगा लाभ?
1 .जिन्होंने सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं चुना था और जिनका निधन 58 वर्ष की आयु से पहले हो गया।
2 .जिन्होंने 60 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्ति का विकल्प तो भरा था, लेकिन विकल्प परिवर्तन की निर्धारित अवधि से पहले ही उनका निधन हो गया।
3 .इसके अलावा, 03 फरवरी 2004 के बाद की नियुक्तियों में भी ऐसे शिक्षक शामिल होंगे जिन्होंने रिटायरमेंट का विकल्प नहीं लिया था और 60 वर्ष से पहले निधन हो गया।
4 .वहीं, जिन्होंने 62 वर्ष की सेवा अवधि का विकल्प लिया था, लेकिन विकल्प बदलने की अवधि पूरी होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई—ऐसे मामलों में भी लाभ मिलेगा।
क्या है डेथ ग्रेच्युटी?
डेथ ग्रेच्युटी सरकारी सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों के परिजनों को दी जाने वाली एक प्रकार की एकमुश्त वित्तीय सहायता है, जो कर्मचारी के सेवाकाल में निधन होने पर उसके आश्रितों को दी जाती है। यह सहायता कर्मचारी की सेवा अवधि और अंतिम वेतन के आधार पर निर्धारित होती है।
परिजनों को मिली बड़ी राहत
यह फैसला लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करता है और प्रदेश सरकार की शिक्षक हितैषी सोच को दर्शाता है। इससे न केवल मृतक शिक्षकों के परिजनों को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि उनके सम्मान को भी एक नई पहचान मिलेगी। सरकार के इस कदम की शिक्षकों और शिक्षा संगठनों ने सराहना की है। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे हजारों शिक्षकों के परिवारों को आर्थिक संबल मिलेगा और उन्हें न्याय की अनुभूति होगी।
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