ब्रह्मोस-एनजी को भारत के DRDO और रूस की NPO Mashinostroyeniya ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसे मौजूदा ब्रह्मोस-A का लाइटवेट और हाई-परफॉर्मेंस वर्जन माना जा रहा है। ब्रह्मोस-एनजी के हल्के वजन के कारण फाइटर जेट्स में इसे आसानी से लगाया जा सकता है और एक ही मिशन में कई मिसाइलें ले जाई जा सकती हैं।
किन फाइटर जेट्स को मिलेगा ब्रह्मोस-NG का साथ?
IDRW की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल को निम्नलिखित तीन प्रमुख फाइटर जेट्स से जोड़ा जा रहा है: MiG-29, Mirage 2000, Tejas हैं। वहीं, Su-30MKI जैसे हैवी जेट को ब्रह्मोस-A से लैस किया गया हैं, जिसने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के एयरबेस पर सफल हमला कर दिखाया था। अब जब ब्रह्मोस का अगला संस्करण और हल्का वर्जन तीन और फाइटर जेट्स से जुड़ने जा रहा है, तो यह वायुसेना की हमलावर क्षमता को और कई गुना बढ़ा देगा।
क्या है BrahMos-NG की ताकत?
ब्रह्मोस-NG न केवल आकार में छोटा है, बल्कि इसे तेज़ी से लॉन्च किया जा सकता है, और यह दुश्मन के रडार को चकमा देकर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। 2.8 मैक की रफ्तार से यह मिसाइल दुश्मन को रिएक्ट करने का मौका नहीं देती। इस मिसाइल से वायुसेना दूर बैठे दुश्मन के नौसैनिक जहाजों, मिसाइल साइलो, और मोबाइल लांचर्स को भी आसानी से निशाना बना सकती है।
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