बता दें की वर्तमान ग्राम प्रधानों और पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है। ऐसे में चुनाव में कोई विलंब न हो, इसके लिए सरकार ने समय से पूर्व सीमांकन (Delimitation) और पुनर्गठन की प्रक्रिया को गति दे दी है।
परिसीमन बना सबसे अहम मुद्दा
2021 में हुए पिछले पंचायत चुनावों के बाद से कई ग्राम पंचायतों और राजस्व गांवों को नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद व नगर निगमों में शामिल कर दिया गया है। इस वजह से ग्राम पंचायतों की भौगोलिक और जनसंख्या संरचना में बड़ा बदलाव आया है। अब सरकार उन गांवों और पंचायतों का नए सिरे से पुनर्गठन कर रही है जो शहरी सीमा में चले गए हैं या जिनकी जनसंख्या पंचायत मानकों से नीचे आ गई है।
नगर विकास विभाग को भेजा गया पत्र
पंचायतीराज विभाग ने इस संबंध में नगर विकास विभाग को पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि शहरी सीमा में समाहित ग्राम पंचायतों को हटाने और शेष बचे राजस्व गांवों को निकटवर्ती ग्राम पंचायतों में मिलाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही पूर्व में जारी पंचायतों की अधिसूचना में भी संशोधन की जरूरत जताई गई है ताकि चुनाव से पहले स्पष्ट और अद्यतन ग्राम पंचायतों की सूची तैयार की जा सके।
अधिसूचना 2026 की शुरुआत में संभव
पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पंचायत चुनाव की अधिसूचना 2026 की शुरुआत में—संभावित रूप से जनवरी से मार्च के बीच—जारी की जा सकती है। अधिसूचना जारी होते ही राज्य में चुनावी आचार संहिता लागू हो जाएगी और प्रत्याशियों द्वारा नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
निर्वाचन आयोग की तैयारियां भी तेज
चुनाव को समय पर संपन्न कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपनी तैयारियों को रफ्तार दे दी है। हाल ही में आयोग ने एक लाख मतपेटियों (Ballot Boxes) की आपूर्ति के लिए टेंडर जारी कर दिया है। यूपी के पंचायत चुनाव दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक स्थानीय चुनावों में से एक हैं, जिनमें लाखों मतदाता भाग लेते हैं।
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