यह निर्णय उन शिकायतों के बाद लिया गया है, जिनमें बताया गया कि पहले तीन माह की समय-सीमा पूरी होने के बाद आने वाले कई आवेदन अधिकारियों द्वारा खारिज कर दिए जा रहे थे। नई व्यवस्था के अनुसार, दुर्घटना के बाद तीन माह के भीतर किसी भी पीड़ित किसान परिवार का सदस्य सीधे आवेदन कर सकता है, जबकि तीन से छह माह के भीतर आने वाले आवेदनों को जिलाधिकारी की संस्तुति आवश्यक होगी।
योजना के तहत मुआवजे की राशि:
दुर्घटना में मृत्यु या गंभीर नुकसान (दोनों हाथ, पैर या आंखें): ₹5 लाख
एक हाथ या एक पैर की क्षति: ₹2.5 लाख
50% से अधिक स्थायी दिव्यांगता: ₹2.5 लाख
25% से अधिक स्थायी दिव्यांगता: ₹1.25 लाख
परिवार के सदस्य भी योजना में शामिल
सरकार ने योजना के दायरे को विस्तारित करते हुए अब किसानों के परिवार के अन्य सदस्यों को भी लाभार्थी बनाने का निर्णय लिया है। शर्त यह है कि संबंधित व्यक्ति का नाम भू-अभिलेखों में दर्ज होना चाहिए। इसके अलावा, पट्टे या ठेके पर भूमि लेकर खेती करने वाले किसान भी योजना के पात्र होंगे। लेकिन इसके लिए पंजीकृत दस्तावेजों को आवेदन के साथ संलग्न करना अनिवार्य होगा।
जिलाधिकारियों को जागरूकता बढ़ाने के निर्देश
राजस्व विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अधिक से अधिक किसानों को योजना के बारे में जानकारी दें और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाएं, ताकि जरूरतमंद किसान इसका लाभ ले सकें। यह पहल किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है, जिससे आपदा के समय उन्हें तत्काल वित्तीय राहत मिल सकेगी।
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