राज्य के डीजीपी प्रशांत कुमार ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में जानकारी दी कि यह अभ्यास सिविल डिफेंस, पुलिस, अग्निशमन सेवा, आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF/SDRF) और अन्य संबंधित एजेंसियों के समन्वय से किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा निर्देशित इस मॉकड्रिल का उद्देश्य आपदा की स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए तत्काल और प्रभावी कदम उठाना है।
ब्लैकआउट और युद्ध सायरन
मॉकड्रिल के दौरान कुछ क्षेत्रों में पुराने जमाने के युद्ध सायरन बजाए जाएंगे, जिसकी आवाज़ दो से ढाई किलोमीटर तक सुनी जा सकेगी। कुछ स्थानों पर ‘ब्लैकआउट’ की प्रक्रिया भी दोहराई जाएगी, जिसमें लोगों से घर की सभी लाइटे, इन्वर्टर, बंद करने को कहा जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय अपनाई गई सुरक्षा प्रणाली की याद दिलाती है।
ब्लैकआउट के दौरान लोगों को घर के अंदर रहने और रोशनी का पूरी तरह परहेज करने का निर्देश होगा। नागरिकों को डरने की नहीं, बल्कि सहयोग करने की अपील की गई है। मॉकड्रिल पूरी तरह से पूर्व नियोजित और नियंत्रण में होगी, जिससे किसी तरह की अफवाह या घबराहट से बचा जा सके।
तीन श्रेणियों में बांटे गए जिले
भारत सरकार द्वारा यूपी के 19 जिलों को तीन श्रेणियों—A, B और C—में विभाजित किया गया था। इनमें एक जिला ‘A’ श्रेणी, दो ‘C’ श्रेणी, और बाकी ‘B’ श्रेणी में आते हैं। हालांकि, अब सभी जिलों को अभ्यास में शामिल किया गया है ताकि राज्यभर में एक समान स्तर की तैयारी सुनिश्चित की जा सके।
नागरिकों से सहयोग की अपील
प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे 7 मई को मॉकड्रिल के दौरान जारी निर्देशों का पालन करें और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। यह अभ्यास केवल एक पूर्वाभ्यास है, जिसका उद्देश्य आपदा के समय लोगों की जान-माल की रक्षा करना और प्रशासनिक तैयारियों को परखना है।
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