शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि सावन के दौरान यदि विशेष मंत्रों का नियमित जाप किया जाए, तो यह न केवल व्यक्ति की आत्मिक उन्नति में सहायक होता है, बल्कि जीवन की बाधाएं, मानसिक तनाव और पारिवारिक संकट भी दूर होते हैं।
1. ॐ नमः शिवाय
यह पंचाक्षरी मंत्र भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली मंत्र है। इसका अर्थ है — “मैं शिव को नमन करता हूँ”। इस मंत्र के जाप से मन को शांति मिलती है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं और आत्मबल में वृद्धि होती है।
कैसे जपें: प्रतिदिन प्रातः स्नान के बाद शांत वातावरण में बैठकर 108 बार "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें। विशेष रूप से सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पण करते हुए यह मंत्र जपना शुभ माना गया है।
2. ॐ पशुपताय नमः
यह मंत्र भगवान शिव के पशुपति स्वरूप को समर्पित है। "पशुपति" का अर्थ है — समस्त जीवों के स्वामी। यह मंत्र अहंकार, वासनाओं और मन की चंचलता को शांत करता है। साधक को संयम और स्पष्टता प्रदान करता है।
कैसे जपें: ब्रह्ममुहूर्त में या सुबह के समय शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण करते हुए 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
यह शिव गायत्री मंत्र है, जो अत्यंत शक्तिशाली और आध्यात्मिक रूप से जाग्रत करने वाला माना जाता है। यह मंत्र शिव की दिव्यता, ज्ञान और ऊर्जा को भीतर उतारने का माध्यम है।
कैसे जपें: शाम के समय ध्यान मुद्रा में बैठकर या दीपक जलाकर इस मंत्र का 21 या 108 बार जाप करें। यह साधना साधक को मानसिक स्पष्टता, आध्यात्मिक बल और रोगों से मुक्ति प्रदान कर सकती है।
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