भारत को अमेरिका से मिलेगी ये घातक मिसाइल: चीन सन्न

हेल्थ डेस्क। हाल के वर्षों में भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। चीन और पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच, भारत ने अपनी सैन्य ताकत में इजाफा करने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसी कड़ी में अमेरिका से ‘जैवलिन एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल’ (Javelin ATGM) की खरीद की योजना पर काम शुरू हो गया है। यह मिसाइल भारत की सैन्य क्षमताओं को न केवल बढ़ाएगी, बल्कि सीमाओं पर प्रभावी रक्षात्मक रणनीति को भी सशक्त बनाएगी।

जैवलिन मिसाइल की विशेषताएं

जैवलिन मिसाइल अमेरिकी रक्षा उद्योग की एक बेहतरीन तकनीक का नमूना है। यह मिसाइल हल्की, अत्याधुनिक और बेहद प्रभावी है। इसका वजन केवल लगभग 11.8 किलो है, जिससे सैनिक इसे आसानी से कंधे पर रखकर कहीं भी तैनात कर सकते हैं। इसकी रेंज लगभग 2.5 से 4 किलोमीटर तक है, जो टैंकों और अन्य भारी हथियारों को मारने के लिए पर्याप्त है। खास बात यह है कि यह मिसाइल टैंक के सबसे कमजोर हिस्से, यानी उसके ऊपरी हिस्से को निशाना बनाती है, जिससे टैंक को बेहद गंभीर नुकसान पहुँचता है।

भारत की रणनीतिक जरूरत

गलवान घाटी में 2020 के सीमा विवाद के बाद भारत ने पहाड़ी इलाकों में अपनी सैन्य तैयारी को और भी मजबूत करने की जरूरत महसूस की। ऐसे इलाके जहां भारी और जटिल हथियारों का संचालन कठिन होता है, वहाँ हल्की और प्रभावी मिसाइलों की भूमिका निर्णायक हो जाती है। जैवलिन मिसाइल की खासियत यह है कि इसे झटपट तैनात किया जा सकता है और यह पहाड़ी एवं रेगिस्तानी इलाकों में सहजता से कार्य कर सकती है। यह भारत की सीमावर्ती सुरक्षा को एक नई शक्ति प्रदान करेगी।

‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगी गति

भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और जैवलिन के अमेरिकी निर्माताओं के बीच फरवरी 2025 में हुए समझौते से यह संभावना बढ़ गई है कि आने वाले समय में इस मिसाइल का उत्पादन भारत में भी किया जाएगा। इससे न केवल भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता मजबूत होगी, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी बड़ा समर्थन मिलेगा। घरेलू उत्पादन से लागत में कमी आएगी, और आवश्यकतानुसार हथियारों की उपलब्धता में तेजी आएगी।

चीन और पाकिस्तान के लिए चुनौती

जैवलिन मिसाइल की तैनाती से भारत को चीन और पाकिस्तान के खिलाफ सीमा पर कड़ी सुरक्षा मिलने वाली है। चीन की सैन्य ताकत को सीमित करने के लिए भारत की यह मिसाइल रणनीति बहुत महत्वपूर्ण होगी। हल्की और मोबाइल मिसाइल होने के कारण यह आसानी से घातक हमले कर सकती है, जिससे दुश्मन के टैंकों की गतिशीलता पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। इससे भारत को न केवल अपनी सीमाओं पर मजबूती मिलेगी, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा में भी संतुलन कायम रहेगा।

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