तेजी से बढ़ती बिजली की मांग के कारण
रिपोर्ट के अनुसार भारत में बिजली की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका मुख्य कारण है शहरीकरण की तेज गति, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास, और घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे एयर कंडीशनर का बढ़ता उपयोग। औद्योगिक क्षेत्रों की ऊर्जा जरूरतें भी इस मांग को और बढ़ा रही हैं। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत ने ऊर्जा उत्पादन के सभी स्रोतों को बढ़ावा दिया है।
अक्षय ऊर्जा पर विशेष जोर
भारत की इस प्रगति का सबसे बड़ा कारण है अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा में भारी निवेश। पिछले पांच वर्षों में गैर-जीवाश्म ईंधन में भारत के कुल निवेश का आधे से अधिक हिस्सा सौर ऊर्जा परियोजनाओं में गया है। इसके अलावा, 2024 में स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में कुल निवेश का लगभग 83% हिस्सा रहा, जो भारत के ऊर्जा क्षेत्र के विकास के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वित्तीय सहायता और निवेश में वृद्धि
भारत को 2024 में स्वच्छ ऊर्जा के लिए डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशंस (DFI) से लगभग 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना-आधारित फंडिंग मिली, जो इसे इस क्षेत्र में सबसे बड़ा लाभार्थी बनाता है। इसके अलावा, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) भी बिजली क्षेत्र में उल्लेखनीय बढ़ा है, जो 2023 में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। यह वृद्धि सरकार की 100% FDI नीति के कारण संभव हो पाई है, जो परमाणु ऊर्जा को छोड़कर सभी बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन क्षेत्रों पर लागू है।
चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं
हालांकि रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पिछले दो वर्षों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में गिरावट आई है, जिसका कारण वैश्विक आर्थिक स्थिति और ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियां हैं। फिर भी दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारत का ऊर्जा क्षेत्र निवेश के लिए आकर्षक बना हुआ है। साफ-सुथरी और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में भारत ने विश्व में अपनी पहचान बनाई है और यह क्षेत्र आने वाले समय में और भी प्रगति करेगा।
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