योजना का पृष्ठभूमि और महत्व
औद्योगिक विकास विभाग ने स्वामी विवेकानंद योजना के तहत स्मार्टफोन और टैबलेट वितरण की योजना तैयार की है। पिछले वर्ष टैबलेट वितरण की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन स्मार्टफोन वितरण को लेकर कुछ अड़चनें आईं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, उच्च स्तर पर इस योजना की उपयोगिता को लेकर संशय व्यक्त किया गया था, जिसके कारण योजना धीमी पड़ गई। हालांकि, विभाग के मंत्री नंद गोपाल नंदी की कड़ी प्रतिक्रिया और उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप से अब यह योजना फिर से गति पकड़ रही है।
बजट और कार्यान्वयन में देरी
औद्योगिक विकास विभाग द्वारा युवाओं को स्मार्टफोन वितरण के लिए लगभग 3100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन योजना के सुचारू रूप से न चल पाने के कारण यह राशि लापता हो गई। इससे युवाओं में निराशा फैल गई, क्योंकि यह योजना उनके लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन सकती थी। अब मुख्यमंत्री के निर्णय के बाद इस योजना को लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
योजना के प्रभाव और लाभ
स्मार्टफोन वितरण से युवाओं को डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन नौकरी की तैयारी, सरकारी योजनाओं की जानकारी, तथा उद्यमशीलता में सहायता मिल सकेगी। इससे डिजिटल डिवाइड कम होगा और अधिक युवा आत्मनिर्भर बन सकेंगे। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा और कार्य की मांग बढ़ी है, ऐसे में स्मार्टफोन युवाओं के लिए एक आवश्यक उपकरण बन चुका है।
स्मार्टफोन के लिए आगे की राह
अब कैबिनेट को यह तय करना है कि टैबलेट और स्मार्टफोन दोनों वितरित किए जाएंगे या केवल टैबलेट पर ही फोकस रहेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसले का बेसब्री से इंतजार है, जो इस योजना की दिशा तय करेगा। यदि योजना सही तरीके से लागू होती है, तो यह उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर साबित होगी।
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