नियमित इंटरव्यू और विज्ञापन
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने जानकारी दी कि अब से खाली पदों के लिए नियमित अंतराल पर विज्ञापन जारी किए जाएंगे। राजकीय और स्वशासी दोनों प्रकार के मेडिकल कॉलेजों में संविदा शिक्षकों की भर्ती हेतु इंटरव्यू की प्रक्रिया निरंतर आधार पर चलेगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी कॉलेज में शिक्षण कार्य बाधित न हो।
मानक के अनुसार होंगे शिक्षक
प्रमुख सचिव ने हाल ही में सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों और कार्यवाहक प्रधानाचार्यों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले ही फैकल्टी की नियुक्ति मानकों के अनुरूप पूरी की जाए। वर्तमान में अधिकतर कॉलेजों में स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 60% शिक्षक कार्यरत हैं, जो एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। इससे विभाग की साख पर सवाल उठते हैं और कई बार जुर्माने की नौबत भी आ चुकी है।
नॉन पीजी जेआर पदों पर नई पहल
शिक्षकों की कमी के साथ-साथ अस्पताल प्रशासन में सहयोग के लिए भी सरकार ने एक नई योजना बनाई है। सभी कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों में खाली पड़े नॉन पीजी जूनियर रेजिडेंट (JR) के पदों पर MBBS और BDS पास ऐसे उम्मीदवारों को नियुक्त किया जाएगा, जिनके पास अस्पताल प्रशासन में डिग्री या अनुभव है। इसका उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों में दक्षता लाना और डॉक्टरों की कार्यभार को संतुलित करना है।
प्रदेश में 5250 एमबीबीएस सीटें, पर शिक्षकों की भारी कमी
उत्तर प्रदेश में कुल 44 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें केजीएमयू, लोहिया संस्थान सहित राजकीय और स्वशासी कॉलेज शामिल हैं। इन कॉलेजों में कुल 5250 एमबीबीएस सीटें हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी लगातार एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। कई कॉलेजों को एनएमसी द्वारा चेतावनी और जुर्माना भी मिल चुका है। कुछ संस्थानों ने एनएमसी के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई में शीघ्र पद भरने का शपथ-पत्र भी दिया है।
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