ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिका को $100 अरब की आमदनी

न्यूज डेस्क। अमेरिका की अर्थव्यवस्था में इन दिनों टैरिफ एक अहम भूमिका निभा रहा है — और इसके पीछे मुख्य चेहरा हैं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। उनके टैरिफ एजेंडे के तहत लगाए गए कस्टम ड्यूटी ने अमेरिका को राजस्व के नए शिखर तक पहुंचा दिया है। जून 2025 में अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने एक ऐसा आंकड़ा सामने रखा जो देश के इतिहास में पहली बार दर्ज हुआ: कस्टम ड्यूटी कलेक्शन $100 अरब के पार निकल गया है।

टैरिफ से खजाने में रिकॉर्ड आमदनी

वित्तीय वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों में कस्टम ड्यूटी से ग्रॉस आधार पर $113.3 बिलियन और नेट आधार पर $108 बिलियन की आमदनी हुई है। यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुना है, जो यह दिखाता है कि टैरिफ अब सिर्फ व्यापारिक नीति नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए एक मजबूत राजस्व स्रोत बन चुका है।

जून महीने में ही नेट कस्टम कलेक्शन $26.6 बिलियन रहा — जो पिछले वर्षों के औसत से कई गुना ज़्यादा है। इससे सरकार को जून के लिए $27 बिलियन का सरप्लस बजट मिला, जो अमेरिकी कर्ज संकट से जूझती अर्थव्यवस्था के लिए राहत की खबर है।

ट्रंप की नीति: आलोचना और समर्थन दोनों

ट्रंप के टैरिफ एजेंडे की शुरुआत एक आर्थिक राष्ट्रवाद की सोच से हुई थी — "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत। उन्होंने चीन, यूरोप और अन्य व्यापारिक साझेदारों पर भारी टैरिफ लगाए। उस समय इस कदम की कड़ी आलोचना हुई थी, खासतौर पर फ्री-मार्केट समर्थकों और निर्यात-आयात कारोबारियों की ओर से।

लेकिन आज के आंकड़े कुछ और ही कहानी सुना रहे हैं। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने भी सार्वजनिक रूप से इन नतीजों का समर्थन किया। उनके मुताबिक, "ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिका को न सिर्फ राजस्व मिला, बल्कि महंगाई भी काबू में रही।"

अमेरिकी राजस्व के नए स्तंभ

बजट आंकड़ों के अनुसार, कस्टम ड्यूटी अब अमेरिका के लिए चौथा सबसे बड़ा राजस्व स्रोत बन चुका है। इससे ऊपर केवल विदहेल्ड रिसीट्स (जैसे पेरोल टैक्स), नॉन-विदहेल्ड रिसीट्स (स्व-रोजगार आदि) और कॉर्पोरेट टैक्स हैं। इससे यह साफ है कि टैरिफ, जो कभी सिर्फ एक ट्रेड टूल माना जाता था, अब फेडरल बजट में एक स्थायी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

ट्रंप आगे क्या करेंगे?

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में घोषणा की कि 1 अगस्त से अमेरिका अपने व्यापारिक साझेदारों पर और भी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएगा। यदि इस नीति का मौजूदा ट्रेंड जारी रहता है, तो 2025 का अंत तक कस्टम ड्यूटी कलेक्शन और भी ऊंचे स्तर पर पहुंच सकता है। हालांकि, यह बहस अभी भी जारी है कि टैरिफ का बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ेगा या विदेशी कंपनियों पर। लेकिन फिलहाल के आंकड़े ट्रंप के आर्थिक एजेंडे को मजबूत करते नजर आ रहे हैं।

0 comments:

Post a Comment