नई दिल्ली। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम एक बार फिर वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गगनयान मिशन के लिए एक विशेष प्रकार के इंजन — सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (SMPS) — को पूरी तरह से सफलतापूर्वक तैयार कर लिया है। इसरो की यह उपलब्धि केवल एक तकनीकी मील का पत्थर नहीं, बल्कि भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की नींव है।
SMPS: क्या है ये विशेष इंजन?
SMPS, गगनयान स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल का अहम हिस्सा है। इसकी भूमिका केवल स्पेसक्राफ्ट को चलाने तक सीमित नहीं, बल्कि यह मिशन की सुरक्षा, दिशा-निर्धारण और नियंत्रण में भी प्रमुख भूमिका निभाएगा। खास बात यह है कि यह सिस्टम दो प्रकार के तरल ईंधन पर आधारित है, जिसे बाइ-प्रोपेलेंट सिस्टम कहते हैं। इस तकनीक के जरिए अंतरिक्षयान को सटीकता से नियंत्रित किया जा सकता है।
SMPS की प्रमुख विशेषताएं:
1 .ऑर्बिट नियंत्रण: जब गगनयान पृथ्वी की कक्षा में पहुंचेगा, तब SMPS यह सुनिश्चित करेगा कि यान सही ऑर्बिट में प्रवेश करे और वहां स्थिर बना रहे।
2 .गति का नियंत्रण: अंतरिक्ष में यान की गति को आवश्यकता के अनुसार बढ़ाने या घटाने की क्षमता SMPS में मौजूद है, जो इसे बेहद लचीला और मिशन के अनुकूल बनाता है।
3 .आपातकालीन स्थिति में सहायता: अगर लॉन्च के दौरान कोई तकनीकी गड़बड़ी होती है, तो यही सिस्टम अंतरिक्षयात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने और स्पेसक्राफ्ट को वापस लाने में मदद करेगा।
परीक्षण: सफलता की कहानी
ISRO ने SMPS की विश्वसनीयता को साबित करने के लिए इसे कई कड़े परीक्षणों से गुजारा है:
1 .350 सेकंड का हॉट टेस्ट: इस महत्वपूर्ण परीक्षण में यह देखा गया कि अचानक मिशन रद्द होने की स्थिति में इंजन कैसी प्रतिक्रिया देता है। परिणाम ISRO की उम्मीदों के अनुरूप रहा।
2 .25 से अधिक परीक्षण: SMPS के अलग-अलग पहलुओं को परखने के लिए 14,000 सेकंड से ज्यादा समय तक टेस्ट किए गए, जिनमें विभिन्न मिशन परिदृश्यों को दोहराया गया। सभी परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में सफलतापूर्वक किए गए।
0 comments:
Post a Comment