क्यों जरूरी हो गए हैं स्टील्थ फाइटर जेट्स?
1. बदलता सुरक्षा परिदृश्य: चीन पहले ही J-20 जैसे स्टील्थ फाइटर जेट तैनात कर चुका है, जो PL-15 मिसाइलों से लैस हैं—ये मिसाइलें 200–300 किलोमीटर तक की रेंज में लक्ष्यों को भेद सकती हैं। वहीं, पाकिस्तान भी JF-17 ब्लॉक III और J-10CE जैसे एडवांस्ड जेट्स अपने बेड़े में शामिल कर रहा है, जो स्टील्थ विरोधी रडार और मिसाइल सिस्टम से लैस हैं।
2. मौजूदा लड़ाकू विमानों की सीमाएं: IAF के पास इस समय Su-30MKI, राफेल और तेजस जैसे बेहद सक्षम विमान हैं, लेकिन ये 4वीं या 4.5 पीढ़ी की तकनीक पर आधारित हैं। इनके पास सीमित स्टील्थ क्षमता है, जो भविष्य के युद्धक्षेत्र में पर्याप्त नहीं मानी जा सकती।
3. भविष्य के युद्ध की प्रकृति: आज के युद्ध सिर्फ ताकत की नहीं, ‘जानकारी’ और ‘चौकसी’ की लड़ाई हैं। हाइपरसोनिक हथियार, एआई-संचालित ड्रोन, और मल्टी-डोमेन वॉरफेयर की दुनिया में स्टील्थ और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमता निर्णायक बन चुकी है।
AMCA से पहले का पुल: तत्काल जरूरत का समाधान
भारत अपने स्वदेशी 5.5-जेनरेशन स्टील्थ फाइटर ‘AMCA’ पर काम कर रहा है, लेकिन इसका पहला संस्करण 2035 के आसपास ही ऑपरेशनल हो पाएगा। इस अंतराल को भरने के लिए विदेशी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, ताकि भारतीय वायुसेना इस दशक में ही 5वीं पीढ़ी की शक्ति हासिल कर सके।
किस पर विचार हो रहा है?
1. अमेरिकी F-35 लाइटनिंग II: लॉकहीड मार्टिन का F-35 वर्तमान में दुनिया का सबसे आधुनिक और व्यापक रूप से तैनात 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर है। यह मल्टी-रोल क्षमता, अत्याधुनिक एवियोनिक्स और डेटा नेटवर्किंग में शानदार है। हालांकि, इसके साथ अमेरिकी शर्तें और लॉजिस्टिक्स सिस्टम भी आते हैं, जिन पर भारत को रणनीतिक संतुलन बनाना होगा।
2. रूसी Su-57 फेलॉन: रूस का Su-57 एक और विकल्प है, जो सुपरक्रूज़, स्टील्थ और मल्टी-रोल क्षमताओं के साथ आता है। भारत पहले रूस के साथ FGFA (Fifth Generation Fighter Aircraft) परियोजना में साझेदार था, जो बाद में रद्द हो गई। अब एक बार फिर इस विमान पर विचार हो रहा है।
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