IVF क्या है? IVF एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर लैब में मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है। इसके बाद इस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे गर्भधारण हो सके।
IVF से बच्चा करने के फायदे
1. बांझपन का समाधान: IVF उन दंपत्तियों के लिए आशा की किरण है जो कई वर्षों से संतान की कोशिश कर रहे हैं और प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं।
2. गंभीर चिकित्सीय समस्याओं में सहायक: यदि महिला को फॉलोपियन ट्यूब में रुकावट है, पीसीओडी, एंडोमेट्रिओसिस, या पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या कम है, तब भी IVF से सफलता मिल सकती है।
3. जेनैटिक बीमारी से बचाव: PGD (Preimplantation Genetic Diagnosis) तकनीक के जरिए भ्रूण में किसी अनुवांशिक बीमारी की जांच की जा सकती है, जिससे स्वस्थ बच्चे का जन्म संभव होता है।
4. दूसरे विकल्पों के साथ संयोजन: IVF में डोनर अंडाणु, शुक्राणु या सरोगेट मदर जैसी अन्य तकनीकों को भी शामिल किया जा सकता है, जिससे अधिक जटिल मामलों में भी संतान प्राप्ति संभव होती है।
IVF से बच्चा करने के नुकसान
1. सफलता की गारंटी नहीं: IVF की सफलता दर 30% से 60% के बीच होती है, जो महिला की उम्र, स्वास्थ्य, और कारणों पर निर्भर करती है। कई बार एक से अधिक प्रयास करने पड़ते हैं।
2. महंगी प्रक्रिया: IVF एक महंगी प्रक्रिया है। इसमें दवाइयों, टेस्ट, और बार-बार क्लिनिक विजिट की वजह से लाखों रुपए का खर्च आ सकता है।
3. शारीरिक और मानसिक तनाव: IVF की दवाइयों और इंजेक्शनों से महिला को हार्मोनल असंतुलन, थकावट, चिड़चिड़ापन और कभी-कभी अवसाद का सामना करना पड़ सकता है।
4. मल्टीपल प्रेगनेंसी का खतरा: IVF में एक से अधिक भ्रूण प्रत्यारोपित किए जाते हैं, जिससे जुड़वा या ट्रिपलेट्स होने की संभावना बढ़ जाती है, जो जटिल गर्भावस्था और समयपूर्व प्रसव का कारण बन सकता है।
5. साइड इफेक्ट्स और स्वास्थ्य जोखिम: IVF में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों से ओवेरियन हाइपरस्टिम्युलेशन सिंड्रोम (OHSS) जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो खतरनाक हो
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