क्या है वेतन आयोग और क्यों होता है ज़रूरी?
वेतन आयोग का गठन केंद्र सरकार हर 10 वर्षों में करती है ताकि महंगाई और आर्थिक स्थितियों के हिसाब से सरकारी कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और भत्तों की समीक्षा की जा सके। 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, और अब 8वें वेतन आयोग की तैयारी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि अप्रैल 2025 तक सरकार इसका औपचारिक ऐलान कर सकती है।
फिटमेंट फैक्टर से तय होगी नई सैलरी
फिटमेंट फैक्टर एक गणितीय गुणांक (multiplier) होता है जो मौजूदा बेसिक सैलरी पर लागू करके नई सैलरी तय की जाती है। अगर 8वें वेतन आयोग में 2.86 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया जाता है, तो इससे कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा उछाल आ सकता है। उदाहरण के तौर पर: अगर किसी कर्मचारी की वर्तमान बेसिक सैलरी 21,000 रुपये है, तो 2.86 के हिसाब से नई सैलरी : 21,000 × 2.86 = ₹60,060 प्रति माह, इसी तरह जिनकी पेंशन फिलहाल ₹8,000 है, वह बढ़कर लगभग ₹20,480 हो सकती है।
सिर्फ वेतन नहीं, सुविधाओं पर भी असर
आपको बता दें की वेतन आयोग की सिफारिशें केवल वेतन और पेंशन तक सीमित नहीं रहतीं। यह कर्मचारियों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं, यात्रा भत्ता, मकान भत्ता (HRA), महंगाई भत्ता (DA) और अन्य सुविधाओं की समीक्षा भी करता है।
कब से लागू हो सकती हैं सिफारिशें?
अगर सरकार अप्रैल 2025 तक 8वें वेतन आयोग का गठन करती है, तो इसकी रिपोर्ट और सिफारिशें 2026 के मध्य तक आ सकती हैं। इसके बाद केंद्र सरकार इसे लागू करने पर निर्णय लेगी। आमतौर पर आयोग की सिफारिशें लागू होने में 1 से डेढ़ साल का समय लगता है।
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