कौन सा इंजन लगा है ब्रह्मोस मिसाइल में?
ब्रह्मोस मिसाइल में 'रैमजेट इंजन' (Ramjet Engine) तकनीक का इस्तेमाल होता है, जो इसे सुपरसोनिक गति से उड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इसकी शुरुआती उड़ान (boost phase) के लिए एक सॉलिड-फ्यूल रॉकेट बूस्टर लगाया जाता है, जो मिसाइल को हवा में पर्याप्त गति तक पहुंचाता है। एक बार यह गति प्राप्त हो जाती है, तब रैमजेट इंजन सक्रिय हो जाता है।
रैमजेट इंजन क्या है और यह कैसे काम करता है?
रैमजेट इंजन एक ऐसा जेट इंजन है, जिसमें हवा को संपीड़ित (compress) करने के लिए कोई घूमता हुआ कंप्रेसर नहीं होता। यह इंजन सिर्फ तब ही काम करता है जब वस्तु पहले से तेज गति में हो — यही वजह है कि इसे उड़ान में ही चालू किया जाता है।
इसमें वायुमंडलीय हवा को बहुत तेज़ी से अंदर लिया जाता है, उसमें ईंधन मिलाया जाता है और उसे जलाकर विस्फोटक ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, जो मिसाइल को आगे धकेलती है। इसका डिज़ाइन इतना सरल लेकिन प्रभावी है कि यह ब्रह्मोस को 2.8 से लेकर 3 मैक (यानी 3 गुना ध्वनि की गति) तक की रफ्तार देने में सक्षम है।
भारत-रूस साझेदारी: इंजन निर्माण में कौन आगे?
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है। इसका इंजन मुख्यतः रूस द्वारा विकसित किया गया है, लेकिन हाल के वर्षों में भारत ने इसके इंडिजेनाइज़ेशन यानी स्वदेशीकरण की दिशा में तेज़ी से प्रगति की है। अब डीआरडीओ (DRDO) और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) जैसी संस्थाएं इसके निर्माण में अहम भूमिका निभा रही हैं। DRDO भविष्य में ब्रह्मोस के इंजन को पूरी तरह मेक इन इंडिया के तहत तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है। यह भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का एक बड़ा कदम है।
क्यों है यह इंजन खास?
सुपरसोनिक गति: यह मिसाइल 3 मैक तक की गति से उड़ सकती है, जो दुश्मन की प्रतिक्रिया करने की क्षमता को बहुत कम कर देती है।
लंबी रेंज: ब्रह्मोस अब 450–500 किमी तक मार कर सकती है, और रेंज बढ़ाने पर काम जारी है।
मल्टी-प्लेटफॉर्म लॉन्च: यह मिसाइल जमीन, हवा, समुद्र और पनडुब्बियों से लॉन्च की जा सकती है — और सभी में इसका इंजन प्रभावी तरीके से कार्य करता है।
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