ये है दुनिया की सबसे महंगी करेंसी: रुपया कहां हैं?

नई दिल्ली। हर देश की अपनी करेंसी होती है, जो उस देश की आर्थिक ताकत, नीतियों और वैश्विक बाजार में उसकी भूमिका को दर्शाती है। जहां कई देशों की करेंसी भारतीय रुपये के मुकाबले बहुत कमजोर होती है, वहीं कुछ देशों की करेंसी इतनी मजबूत होती है कि 1 यूनिट ही भारतीय रुपये के सैकड़ों के बराबर होती है। 

कुवैती दिनार: दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी

वर्तमान समय में दुनिया की सबसे महंगी और मजबूत करेंसी कुवैत की 'कुवैती दिनार' (Kuwaiti Dinar - KWD) है। यह न केवल भारतीय रुपये बल्कि अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा मूल्यवान है। एक कुवैती दिनार की कीमत लगभग 3.28 अमेरिकी डॉलर है। अगर भारतीय रुपये की बात करें, तो 1 कुवैती दिनार की कीमत 283 रुपये से भी ज्यादा है। इसका सीधा मतलब है कि अगर आप भारत में 1 लाख रुपये कमाते हैं, तो वह कुवैत में मात्र लगभग 353 कुवैती दिनार के बराबर होंगे।

कुवैती दिनार इतना मजबूत क्यों है?

1. तेल आधारित मजबूत अर्थव्यवस्था

कुवैत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कच्चे तेल पर आधारित है। यह देश दुनिया के टॉप तेल उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की ऊंची कीमतों का सीधा फायदा कुवैत को होता है।

2. कम जनसंख्या, ज्यादा संसाधन

कुवैत की जनसंख्या बहुत कम है, लेकिन उसके संसाधन (विशेषकर तेल) बहुत अधिक हैं। इससे प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) बहुत ऊंची है, जो करेंसी को और अधिक मजबूत बनाती है।

3. सॉवरेन फंड और रिजर्व

कुवैत का सॉवरेन वेल्थ फंड दुनिया के सबसे पुराने और समृद्ध फंड्स में से एक है। इसके पास इतना विदेशी मुद्रा भंडार है कि आर्थिक संकट के समय भी देश की करेंसी स्थिर रह सकती है।

4. कम मुद्रास्फीति और स्थिर नीति

कुवैत की मुद्रास्फीति दर (Inflation) बहुत कम है। साथ ही, वहां की सरकार अपनी करेंसी को वैश्विक अस्थिरता से बचाने के लिए ठोस नीतियों का पालन करती है।

भारतीय रुपया कहां खड़ा है?

भारतीय रुपया वैश्विक स्तर पर एक उभरती हुई करेंसी है, लेकिन कई कारणों से यह अभी भी कुवैती दिनार जैसी करेंसियों के सामने कमजोर है। भारत की बड़ी जनसंख्या, बढ़ता व्यापार घाटा, और वैश्विक तेल कीमतों पर निर्भरता भारतीय रुपये को कमजोर करती हैं। हालांकि भारत एक बड़ी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन रुपये की मजबूती के लिए निर्यात बढ़ाना, विदेशी निवेश आकर्षित करना और मुद्रा नियंत्रण नीतियों में संतुलन लाना जरूरी है।

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