न्यूनतम मानदेय ₹16,000 – एक बड़ा कदम
राज्य सरकार द्वारा तय किए गए नए नियमों के अनुसार, निगम बनने के बाद आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम मानदेय ₹16,000 प्रति माह होगा। यह न सिर्फ वेतन वृद्धि का संकेत है, बल्कि यह सरकार की उस मंशा को भी दर्शाता है जिसमें कर्मचारियों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को महत्व दिया गया है। यह कदम राज्य के लाखों आउटसोर्स कर्मियों के लिए राहत की सांस जैसा है, जो लंबे समय से न्यून वेतन और अस्थिर नौकरी की स्थिति में काम कर रहे थे।
समय पर वेतन और सामाजिक न्याय का वादा
अब आउटसोर्स कर्मचारियों को हर महीने की पाँच तारीख तक वेतन देना सुनिश्चित किया जाएगा। यह एक बड़ी व्यावसायिक और सामाजिक पहल है, क्योंकि अब तक समय पर वेतन न मिलने की समस्या इन कर्मियों के लिए आम थी। साथ ही सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि नियुक्तियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाएं, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), दिव्यांगजन और पूर्व सैनिकों को आरक्षण का लाभ मिलेगा। विशेष रूप से परित्यक्ता, तलाकशुदा और निराश्रित महिलाओं को प्राथमिकता देना यह दर्शाता है कि सरकार आउटसोर्सिंग के जरिए सिर्फ रोजगार ही नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की भावना को भी साकार करना चाहती है।
यूपीकास का गठन – एक नियामक संस्था की जरूरत
यूपीकास का गठन कंपनी एक्ट के तहत किया जाएगा, जिससे यह एक पेशेवर और विधिसम्मत संस्था के रूप में काम करेगी। इस निगम का उद्देश्य होगा कि विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति, प्रशिक्षण, निगरानी और भुगतान की प्रक्रिया को पारदर्शी और संगठित बनाया जा सके।
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