शिक्षकों के पक्ष में बड़ा निर्णय
अब तक की व्यवस्था में यह देखा जा रहा था कि यदि निरीक्षण के समय कोई शिक्षक कुछ मिनट भी देरी से विद्यालय पहुंचता था या किसी वजह से मौजूद नहीं रहता था, तो खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) उसे "अनुपस्थित" चिह्नित कर देते थे। इसके बाद प्रेरणा पोर्टल पर उस अनुपस्थिति की एंट्री हो जाती थी और संबंधित शिक्षक के एक दिन का वेतन काट लिया जाता था। उस पर जवाबतलबी की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी, लेकिन तब तक वित्तीय नुकसान हो चुका होता था।
अब जारी नए आदेश के अनुसार, किसी भी शिक्षक की अनुपस्थिति पर सबसे पहले यह देखा जाएगा कि उसके पास कितनी आकस्मिक छुट्टियाँ शेष हैं। यदि सीएल उपलब्ध है, तो अनुपस्थिति उसी से समायोजित कर ली जाएगी और वेतन में कटौती नहीं होगी। यह बदलाव शिक्षकों के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है।
शिक्षक संगठनों ने जताया आभार
प्रदेशभर के शिक्षक संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह फैसला न केवल शिक्षकों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी राहत प्रदान करेगा। यह उन शिक्षकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जहां समय पर स्कूल पहुंचना अक्सर मौसम, यातायात या अन्य स्थानीय समस्याओं की वजह से कठिन होता है।
जवाबदेही के साथ सहानुभूति
यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि सरकार अब शिक्षक की जिम्मेदारियों और चुनौतियों को समझ रही है। शिक्षक सिर्फ एक कर्मचारी नहीं, बल्कि समाज निर्माता हैं। उन्हें प्रेरणा पोर्टल या निरीक्षण प्रक्रियाओं के माध्यम से कठोरता से नियंत्रित करने की बजाय, एक सम्मानजनक और सहयोगात्मक माहौल देना जरूरी है।
0 comments:
Post a Comment