एयरफोर्स के बाद अब सेना के बेड़े में
अब तक अपाचे हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना (IAF) के पास थे, जिन्हें 2015 में शामिल किया गया था। अब भारतीय थलसेना को भी इन हेलीकॉप्टरों की ताकत का सहारा मिलेगा। मार्च 2024 में ही AAC ने अपाचे स्क्वाड्रन का गठन कर लिया था और पायलट्स की ट्रेनिंग सहित अन्य तैयारियां पूरी कर ली थीं। अब हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी के साथ यह यूनिट पूरी तरह ऑपरेशनल हो गई है।
अपाचे AH-64E: क्या है खासियत?
अपाचे AH-64E, जिसे दुनिया का सबसे घातक अटैक हेलीकॉप्टर माना जाता है, कई एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस है:
डुअल इंजन और हाई-स्पीड: यह हेलीकॉप्टर दो इंजनों से चलता है और 280 किलोमीटर प्रति घंटे तक की स्पीड पकड़ सकता है।
आर्मामेंट (हथियार): इसमें हेलफायर मिसाइल, हाइड्रा 70mm रॉकेट और 30mm की चेन गन लगी होती है।
नाईट-विजन और रडार: अपाचे में फ्लायर द्वारा पहना जाने वाला हेल्मेट माउंटेड डिस्प्ले सिस्टम होता है, जो पायलट को रात में भी स्पष्ट दृश्य देता है। साथ ही, इसका 'लॉन्गबो रडार' दुश्मन के टैंकों और मिसाइल सिस्टम को काफी पहले ट्रैक कर लेता है।
सर्वाइवेबिलिटी: यह हेलीकॉप्टर बेहद मजबूत होता है और दुश्मन के भारी गोलीबारी में भी सर्वाइव कर सकता है।
क्यों जरूरी था आर्मी के लिए?
पहाड़ों, सीमाओं और दुर्गम इलाकों में जमीनी सेनाओं को हवाई समर्थन देना बेहद जरूरी होता है। खासतौर पर चीन और पाकिस्तान के साथ लगी सीमाओं पर, जहां युद्ध की स्थिति में तेज और प्रभावशाली प्रतिक्रिया जरूरी होती है, वहां अपाचे जैसे अटैक हेलीकॉप्टर गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। ये दुश्मन के बंकर, टैंक और फॉरवर्ड पोजिशन को निशाना बना सकते हैं, जिससे जमीनी टुकड़ियों को बढ़त मिलती है।
भारत की रणनीतिक मजबूती
सेना को मिल रहे ये 6 अपाचे हेलीकॉप्टर पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सीमाओं पर तैनात किए जा सकते हैं। वहां की जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए अपाचे की टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट बेहद उपयोगी होगी। यह डील अमेरिका से 2020 में 600 मिलियन डॉलर में साइन की गई थी। इसके तहत भारत को हेलीकॉप्टर के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स, स्पेयर पार्ट्स और ट्रेनिंग का पैकेज भी मिला है।
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