भारत का बेजोड़ उपहार, रूस ने कहा – 'ऐसे दोस्तों पर नाज़ है'

न्यूज डेस्क। भारत और रूस के रिश्तों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई तरह की चर्चाएँ होती रही हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में थोड़ी दूरी आई है—खासकर अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती साझेदारी को देखते हुए। लेकिन, कूटनीति और व्यापार के कई पहलू ऐसे भी हैं जो यह साबित करते हैं कि भारत-रूस की दोस्ती आज भी मजबूत नींव पर टिकी है। ऐसा ही एक उदाहरण हाल ही में सामने आया है, जब भारत ने रूस को बड़ी मात्रा में चावल निर्यात कर उसकी मदद की है।

कैलिनिनग्राद तक पहुंचा भारत का सहयोग

भारत से भेजा गया यह चावल सिर्फ एक व्यापारिक सौदा नहीं था, बल्कि यह दोस्ती और भरोसे की मिसाल भी बना। रूस के बाल्टिक तट पर स्थित कैलिनिनग्राद— रणनीतिक रूप से अहम लेकिन मुख्य भूमि से कटा हुआ इलाका—भारत से भेजी गई चावल की खेपों से भर गया। भारत ने हाल ही में कैलिनिनग्राद को पाँच खेपों में 125 टन चावल की आपूर्ति की, जिससे वहां की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिली। साल 2025 की शुरुआत से अब तक कुल 390 टन चावल भारत से वहां भेजा जा चुका है।

रूस का दिल जीतने वाली दोस्ती

इस कदम की रूस में खूब सराहना हो रही है। रूस की सरकारी मीडिया RT News ने भारत की तारीफ करते हुए लिखा, "भारत-रूस की दोस्ती पर कोई सवाल नहीं। भारत ने कैलिनिनग्राद को बड़ी मात्रा में चावल की आपूर्ति कर खाद्य संकट से राहत दिलाई है।" यह बयान सिर्फ कूटनीतिक प्रशंसा नहीं, बल्कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारत की भूमिका को भी रेखांकित करता है।

क्यों है भारतीय चावल की रूस में इतनी मांग?

रूस में भारतीय बासमती चावल की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। इसकी खुशबू, स्वाद और पाक-कला में उपयोग की बहुमुखी प्रतिभा ने रूसी उपभोक्ताओं को काफी आकर्षित किया है। साथ ही, बासमती चावल की स्वास्थ्य संबंधी खूबियाँ—जैसे कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और अधिक फाइबर—इसे स्वास्थ्य के प्रति सजग लोगों के बीच खास बना रही हैं।

साल 2022 में भारत ने रूस को करीब 2.1 मिलियन टन चावल निर्यात किया था, जिसकी कुल कीमत लगभग 56 मिलियन अमेरिकी डॉलर रही। सिर्फ मार्च 2023 से फरवरी 2024 के बीच ही रूस को 1,482 बासमती चावल की शिपमेंट भेजी गईं, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 10% अधिक थी।

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