ड्रोन फौज की जरूरत क्यों पड़ी?
भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले सैन्य टकराव ने ड्रोन युद्ध की भूमिका को एक नए परिप्रेक्ष्य में रखा। इस संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों ने बड़े पैमाने पर मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) का इस्तेमाल किया, जो आधुनिक युद्ध के लिए एक निर्णायक हथियार बन चुके हैं।
₹2000 करोड़ का इंसेंटिव प्रोग्राम क्या है?
सरकार ने ड्रोन, उनके कंपोनेंट्स, सॉफ्टवेयर, काउंटर ड्रोन सिस्टम्स और अन्य संबंधित सेवाओं के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना बनाई है। इस योजना का बजट ₹2000 करोड़ है, जो 2021 में ड्रोन स्टार्ट-अप्स के लिए शुरू की गई 1.2 बिलियन रुपये की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम से भी अधिक है।
इस योजना के तहत 2028 तक भारत में कम से कम 40% मुख्य ड्रोन कंपोनेंट्स का उत्पादन घरेलू स्तर पर करना होगा। देश के भीतर निर्मित पार्ट्स खरीदने वाले मैन्युफैक्चरर्स को अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा। स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (SIDBI) के माध्यम से कंपनियों को सस्ते लोन और रिसर्च व डेवलपमेंट के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
वैश्विक परिदृश्य में भारत की मजबूती
ड्रोन तकनीक तेजी से युद्ध की अहम शर्त बनती जा रही है। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश भी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत की ड्रोन फौज उनकी नींद उड़ा सकती है और देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने में एक बड़ा योगदान दे सकती है।
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