भारत ने चीन-अमेरिका को पछाड़ा, वैश्विक मंच पर रचा नया इतिहास

नई दिल्ली। विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक तथ्य उजागर किया है: भारत ने आर्थिक समानता के मामले में चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का चौथा सबसे समान देश बन गया है। यह उपलब्धि भारत की समावेशी आर्थिक प्रगति और सामाजिक न्याय के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

गिनी इंडेक्स में भारत की चमकती स्थिति

आर्थिक समानता को मापने के लिए विश्व में सबसे प्रचलित मापदंड है 'गिनी इंडेक्स'। यह सूचकांक देश की आय वितरण की समानता या असमानता को दर्शाता है। इसका मान 0 से 100 के बीच होता है, जहाँ 0 पूर्ण समानता और 100 पूर्ण असमानता का प्रतीक होता है। भारत का वर्तमान गिनी इंडेक्स स्कोर 25.5 है, जो चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) की तुलना में बेहतर है। इस उपलब्धि के कारण भारत वैश्विक स्तर पर आर्थिक समानता के मामले में केवल स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया और बेलारूस के बाद चौथे स्थान पर है।

पिछले दशक में असमानता में उल्लेखनीय कमी

2011-12 से 2022-23 के बीच भारत में आय असमानता में उल्लेखनीय कमी आई है। इस दौरान भारत ने गरीबी उन्मूलन में भी अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दशक में लगभग 17.10 करोड़ भारतीय अत्यधिक गरीबी से बाहर निकले हैं। जहां 2011-12 में भारत की आबादी का 16.2 प्रतिशत हिस्सा प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम की आय पर निर्भर था, वहीं यह आंकड़ा 2022-23 में घटकर मात्र 2.3 प्रतिशत रह गया। यह बदलाव आर्थिक विकास के साथ सामाजिक समानता को भी जोड़ने का संकेत है।

सरकारी नीतियाँ और योजनाएं में मिली सफलता

भारत की इस सफलता के पीछे केंद्र सरकार की नीतियाँ और सामाजिक कल्याण योजनाएं हैं। पिछले एक दशक में लागू कई कार्यक्रमों ने कमजोर वर्गों को वित्तीय सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत मिशन, और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं इसी दिशा में मील के पत्थर साबित हुई हैं। इन योजनाओं ने आर्थिक लाभ सीधे गरीब और वंचित तबके तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भारत की प्रगति का वैश्विक महत्व

चीन और अमेरिका जैसे आर्थिक महाशक्तियों से आगे निकलकर भारत ने यह साबित कर दिया है कि विकास सिर्फ आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि समावेशी और समानता पर आधारित होना चाहिए। आर्थिक समानता बढ़ने से न केवल समाज में स्थिरता आती है, बल्कि विकास की गति भी मजबूत होती है। भारत की यह उपलब्धि वैश्विक समुदाय के लिए प्रेरणा है कि गरीबी और असमानता को कम करने के लिए ठोस और समर्पित प्रयास जरूरी हैं।

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