बिहार के हर जिले में मॉडल बीएड कॉलेज, 120 सीटें!

पटना। शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है, और एक सक्षम शिक्षक उस रीढ़ को मजबूत बनाने का कार्य करता है। बिहार सरकार ने हाल ही में शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है – राज्य के हर जिले में एक मॉडल बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) कॉलेज की स्थापना। यह पहल न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षक तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों के युवाओं के लिए शिक्षा में नया अवसर भी है।

प्रत्येक कॉलेज में होंगी 120 सीटें और आवासीय सुविधा

प्रत्येक मॉडल बीएड कॉलेज में 120 सीटें होंगी, जिससे बड़ी संख्या में युवाओं को शिक्षक बनने का अवसर मिलेगा। साथ ही, इन संस्थानों में आवासीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे दूर-दराज़ के छात्र-छात्राएं भी बिना किसी असुविधा के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण व आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा।

पुराने बीएड कॉलेजों में होंगे बहुविषयक पाठ्यक्रम

नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की सिफारिशों के अनुरूप, अब बीएड कॉलेजों में बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। इससे कॉलेजों का बहुविषयक रूप विकसित होगा और विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यह एकीकृत शिक्षा का एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा, जहां शिक्षक-प्रशिक्षण के साथ-साथ सामान्य उच्च शिक्षा भी एक ही स्थान पर उपलब्ध होगी।

शिक्षण सामग्री निर्माण के लिए खुलेंगे संसाधन केंद्र

नई शिक्षा नीति के तहत हर जिले में संसाधन केंद्र (Resource Centers) की स्थापना की जाएगी, जहां विद्यार्थियों और शिक्षकों को शिक्षण सामग्री तैयार करना, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, और नवाचार आधारित शिक्षण तकनीकें सिखाई जाएंगी। यह न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाएगा, बल्कि शिक्षकों को आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षित भी करेगा।

काउंसलिंग और विशेष बीएड कोर्स होंगे शामिल

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) के नवीनतम दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब काउंसलिंग को बीएड पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण भाग बनाया गया है। शिक्षकों को केवल विषय ज्ञान ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहारिक समस्याएं और छात्रों की व्यक्तिगत जरूरतों को समझने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, विशेष बीएड कोर्स जैसे विशेष शिक्षा, समावेशी शिक्षा, और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षण जैसे क्षेत्रों में भी प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।

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