शहरी सीमा विस्तार बना कारण
वर्ष 2021 के पंचायत चुनाव के बाद से प्रदेश के कई क्षेत्रों में नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों का गठन हुआ है, जिससे अनेक राजस्व गांव शहरी क्षेत्रों में शामिल हो गए हैं। इन बदलावों के चलते अब ग्राम पंचायतों की सीमाएं और संरचना भी प्रभावित हुई हैं।
एक हजार से कम आबादी वाले गांव
पंचायतीराज विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार के अनुसार, अब एक नया मानक अपनाया जा रहा है जिसके तहत एक हजार की न्यूनतम आबादी पर ही ग्राम पंचायत का गठन संभव होगा। जिन ग्राम पंचायतों में यह मानक पूरा नहीं हो रहा, उन्हें पास की ग्राम पंचायतों में सम्मिलित किया जाएगा।
नई ग्राम पंचायत बनने के भी विकल्प खुले
जहां कोई राजस्व गांव शहरी क्षेत्र में शामिल हुआ हो और उसकी जनसंख्या 1000 से अधिक हो, वहां नए सिरे से ग्राम पंचायत बनाए जाने का भी प्रावधान है। साथ ही, ऐसे एकल राजस्व गांव जिनकी जनसंख्या 1000 है, और वे आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं, उन्हें यथावत ग्राम पंचायत के रूप में बनाए रखा जाएगा।
चार सदस्यीय समिति करेगी पुनर्गठन की समीक्षा
प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की गई है, जिसमें: जिला पंचायतीराज अधिकारी (सदस्य सचिव), मुख्य विकास अधिकारी, जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी को शामिल किया गया है। यह समिति प्रभावित ग्राम पंचायतों की समीक्षा कर पांच जून तक अपना प्रस्ताव शासन को भेजेगी।
क्या बदलेगी यूपी के इन ग्राम पंचायतों की तस्वीर?
इस आंशिक पुनर्गठन के बाद कई ग्राम पंचायतों की सीमाएं, संरचना और नाम तक बदल सकते हैं। पंचायत चुनाव की तैयारियों के लिहाज से यह एक बड़ा प्रशासनिक कदम माना जा रहा है, जिससे ग्राम पंचायतों की असली तस्वीर आने वाले हफ्तों में सामने आएगी।
0 comments:
Post a Comment