दुनिया में 5th जनरेशन जेट्स की होड़, भारत की बड़ी छलांग!

नई दिल्ली। आज की दुनिया में सैन्य शक्ति का चेहरा बदल चुका है। युद्ध अब सिर्फ सैनिकों और टैंकों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह तकनीक, रफ्तार और रडार से बच निकलने की होड़ बन चुका है। इस बदलते परिदृश्य में 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एक नए युग का प्रतीक बन चुके हैं। अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों ने इस दिशा में काफी पहले कदम बढ़ा दिए थे, लेकिन अब भारत भी तेजी से इस दौड़ में शामिल हो रहा है।

क्या होते हैं 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स?

5वीं पीढ़ी के जेट विमानों को पारंपरिक लड़ाकू विमानों से कहीं अधिक उन्नत माना जाता है। ये विमान खास तौर पर स्टेल्थ तकनीक से लैस होते हैं, जो इन्हें दुश्मन के रडार से छिपने में सक्षम बनाती है। इसके अलावा इनमें सुपरक्रूज़ क्षमता, एडवांस्ड सेंसर फ्यूजन, नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर, और AI आधारित निर्णय प्रणाली जैसी खूबियाँ होती हैं। ये सिर्फ आक्रमण करने वाले हथियार नहीं, बल्कि हवा में एक उड़ता हुआ कमांड सेंटर होते हैं।

भारत की एंट्री: AMCA प्रोजेक्ट

भारत ने इस दौड़ में अपनी जगह बनाने के लिए AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इस अत्याधुनिक विमान को DRDO की एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और HAL (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) मिलकर विकसित कर रहे हैं।

AMCA पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है, जो भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके पहले संस्करण को 2030 तक भारतीय वायुसेना में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे दो चरणों में विकसित किया जा रहा है — पहला मार्क-1 संस्करण मौजूदा इंजन के साथ, और दूसरा मार्क-2 एक पूरी तरह स्वदेशी इंजन के साथ।

सिर्फ तकनीक नहीं, रणनीति भी

AMCA भारत की सैन्य क्षमता को तो मजबूत करेगा ही, साथ ही यह भविष्य में रक्षा निर्यात का एक बड़ा जरिया भी बन सकता है। भारत के पास पहले से ही LCA तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमान का अनुभव है, जिसे कई देशों ने खरीदी में रुचि दिखाई है। अगर AMCA सफल होता है, तो यह भारत को न केवल सैन्य महाशक्ति बनाएगा, बल्कि उसे वैश्विक रक्षा बाज़ार में एक मजबूत खिलाड़ी बना देगा।

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