स्वदेशीकरण की नई उड़ान
तेजस Mk2 में शुरुआत में लगभग 82% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया जाएगा। लेकिन इस परियोजना का सबसे अहम मोड़ तब आएगा जब इसके इंजन का लाइसेंस प्राप्त उत्पादन भारत में ही शुरू हो जाएगा। इसके बाद यह विमान 90% तक स्वदेशी बन जाएगा, जिससे भारत विदेशी रक्षा उपकरणों पर अपनी निर्भरता कम कर सकेगा।
IAF के लिए बड़ी योजना
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना तेजस Mk2 के लिए प्रारंभिक तौर पर 120 यूनिट्स का ऑर्डर दे सकती है। अनुमान है कि यह संख्या 2035 तक बढ़कर 180 तक पहुंच सकती है। वायुसेना का लक्ष्य है कि साल 2040 तक 200 तेजस Mk2 जेट्स को अपने बेड़े में शामिल किया जाए।
तेजस Mk2 को भारत में मौजूदा जगुआर, मिराज 2000 और मिग-29 जैसे पुराने विमानों की जगह पर तैनात किया जाएगा। इससे वायुसेना की मारक क्षमता आधुनिक स्तर पर पहुंचेगी और एयर डिफेंस सिस्टम और अधिक मजबूत होगा।
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल
तेजस Mk2 न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि यह भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम भी है। इसका विकास हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किया जा रहा है, जो पहले से ही तेजस Mk1 के निर्माण और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
विशेषताएं जो तेजस Mk2 को बनाती हैं खास
एयर-टु-एयर और एयर-टु-ग्राउंड मिशनों के लिए उपयुक्त
अत्याधुनिक एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम
अधिक फ्यूल कैपेसिटी और बेहतर रेंज
बेहतर हथियार लोड और उन्नत सेंसर्स
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